Sunday, November 6, 2016

देशद्रोही मस्त : सरकार हुई पस्त !!!

देशद्रोह की पाठशाला मे देशद्रोही छात्रों ने जैसे ही गधैया कुमार को पाठशाला के छात्र संघ का अध्यक्ष चुना, सभी देशद्रोहियों,आतंकवादियों, विपक्षी राजनीतिक दलों और दुश्मन देशों मे बैठे उसके आकाओं मे खुशी की लहर दौड़ गयी.

हमारे अखबार के पत्रकार भी अपने कैमरामैन साथी को लेकर देशद्रोही गधैया कुमार के पास पहुंच गये और उससे अपना पहला सवाल कर दिया-" क्यों भाई देशद्रोही गधैया-पहले तो यह बताओ कि तुम्हारा नाम "गधैया" कैसे पड़ा ?"

गधैया कुमार : इसकी कहानी पुरानी है. हम लोग दरअसल खानदानी गधे हैं-लेकिन कुछ गधों ने जब देखा कि हम लोग विपक्षी राजनेताओं और देश के दुश्मनों के इशारे पर देशद्रोह की घटनाओं मे लिप्त हो रहे हैं तो उन्होने हमे "गधों" के समुदाय से यह कहते हुये निकाल दिया कि हम लोग सभी गधों का अपमान कर रहे हैं-लिहाजा तभी से हम देशद्रोहियों ने अपने आपको गधे की जगह " गधैया" कहना शुरु कर दिया है.

पत्रकार : एक बात समझ मे नही आ रही है गधैया-वह यह कि विपक्षी राजनेताओं और देश के बाहर बैठे देश के दुश्मनो की तो देशद्रोह मे हाथ होने की वजह साफ तौर पर नज़र आ रही है लेकिन यह तथाकथित 'मेनस्ट्रीम मीडिया" के अखबार और टी वी चेनल भी तुम्हारे जैसे देशद्रोहियों को "हीरो" बनाने मे लगे हुये है-वह बात कुछ हज़म नही हो रही है.

गधैया कुमार : पत्रकार जी, आप लगता है पत्रकारिता मे नये नये आये हो. यह सभी मेनस्ट्रीम मीडिया के अखबार और टी वी चैनल अपने स्वार्थ के लिये मुझे "हीरो" बना रहे हैं- अगर यह ऐसा नही करेंगे तो इन्हे अपने अखबार और टी वी चैनलों को चलाने के लिये दुश्मन देशों से जो आर्थिक मदद मिल रही है, वह बंद कर दी जायेगी. लिहाज़ा इनकी भी मजबूरी समझो और अगर यही मदद आपको भी चाहिये तो आप भी बताओ-आपके अखबार को भी यही मदद दिलवा दी जायेगी-बस आपको इस देश और उसकी सरकार की जड़ें उसी तरह खोदनी होंगी, जैसे कि पिछले लगभग दो सालों से यह अखबार खोद रहे हैं.

पत्रकार : देख गधैया, अपनी देशद्रोह की सलाह अपने पास ही रख. तुम्हारे जैसे देशद्रोहियों और विपक्षी राजनेताओं के भेष मे घूम रहे तुम्हारे आकाओं के दिन अब पूरे होने वाले हैं और उसके साथ ही उन दुश्मन देशों का भी पर्दाफाश होने वाला है, जिनके इशारे पर तुम लोग इस देशद्रोह मे लगे हुये हो."

गधैया कुमार (जोर से हंसते हुये) : पत्रकार जी, हम देशद्रोहियों का कोई भी कुछ नही बिगाड़ सकता. जब भी हम लोगों पर कोई मुसीबत आती है, हम लोगों को बचाने के लिये कानून के रखवालों मे मानो होड सी लग जाती है. इन कानून के रखवालों के पास अगर कोई देशभक्त चला जाये तो उससे यह लाखो रुपये की फीस वसूलते हैं लेकिन हमारे जैसे देशद्रोहियों के लिये इन्होने मुफ्त सेवा शुरु कर रखी है.

पत्रकार (हैरानी के साथ) : अरे गधैया कुमार, यह तथाकथित कानून के रखवाले भला ऐसा क्यों करते हैं ?


गधैया कुमार : इन लोगों को भी देश के बाहर बैठे दुश्मनो से हमे हर हालत मे बचाने के लिये अरबो-खरबो की फीस मिलती है-चाहे उसके लिये इन्हे रात के दो बजे सुप्रीम कोर्ट के जज के घर ही क्यों ना जाना पड़े.

पत्रकार : अच्छा गधैया, चलते चलते एक आखिरी सवाल यह है कि तुम लोग इन देशद्रोह की वारदातों को कब तक अंज़ाम देते रहोगे ?


गधैया कुमार : इसका जबाब तो पत्रकार महोदय आपको भी मालूम है-फिर मेरे मुंह से क्यों सुनना चाहते हो- इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही जबाब है-वह यह कि यह देशद्रोह की वारदातों को हम सब मिलकर तब तक अंज़ाम देते रहेंगे, जब तक कि हम सभी लोगों को पकड-पकड कर मौत के घाट नही उतार दिया जाता. लेकिन ऐसा होगा नही-इसके लिये हमे आश्वासन अपने आकाओं से मिला हुआ है.

( इस काल्पनिक व्यंग्य रचना का किसी जीवित या मृत व्यक्ति, संस्था या संगठन से कोई लेना देना नही है.)


 Published on 14/3/2016 

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