Tuesday, November 8, 2016

केजरीवाल राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने आये हैं !

केजरीवाल जी राजनीति नही, व्यवस्था परिवर्तन करने के लिये आये हैं-इस बात को खुद केजरीवाल, उनके साथी नेतागण,कार्यकर्ता और समर्थक हज़ारों बार चिल्ला चिल्ला कर कह चुके हैं ! राहुल,सोनिया,मनमोहन,लल्लू,माया,ममता,मुलायम,नीतीश सरीखे आला दर्जे के राजनेताओं और उनकी तथाकथित पार्टियों ने भी केजरीवाल जी के इस कदम का तहेदिल से स्वागत किया है और उन्हे उनके इस अभियान मे पूरा सहयोग करने का वचन भी दिया है ! वाम दलों की सहमति तो पहले से ही केजरीवाल जी के साथ ही थी ! सारे झगड़े और फसाद की जड भाजपा और उसके नेतागण हैं जो केजरीवाल जी की इस दूरदर्शिता को समझ नही पा रहे हैं और उन्हे वेवजह ही दिन रात लताड रहे हैं !

दरअसल हम लोगों के साथ परेशानी ही यह है कि जब भी कोई "अच्छा और ईमानदार आदमी " राजनीति की जगह व्यवस्था परिवर्तन करना चाहता है,हम उसे लताडना शुरु कर देते हैं ! आगे कुछ लिखने से पहले एक नज़र जरा केजरीवाल जी के तथाकथित व्यवस्था परिवर्तन पर भी डाल लेते हैं, ताकि जो भाजपा और उनके कमअक्ल समर्थक हैं,उनकी आंखे भी खुल सकें और वे केजरीवाल जी के इस अभूतपूर्व व्यवस्था परिवर्तन का पूरा आनन्द उठा सकें :

1.अभी तक व्यवस्था यह थी कि लोकसभा के चुनावों मे केन्द्र मे जिस पार्टी की सरकार हो, उसके खिलाफ चुनाव लड़े जाते थे- केजरीवाल जी ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुये इस व्यवस्था मे परिवर्तन लाने का फैसला किया है और वे लोकसभा चुनावों मे केन्द्र मे पिछले 10 सालों से दुष्कर्म कर रही कांग्रेस पार्टी की वजाये, विपक्ष और उसके पी एम प्रत्याशी मोदी को ही अपने निशाने पर लेने को व्यवस्था परिवर्तन मानते हैं! किसी दोषी आदमी को दंड देने की व्यवस्था अब पुरानी हो चुकी है-अब तो दंड उसे दिया जायेगा जिसका कोई दोष ना हो- इसी तर्ज़ पर केन्द्र मे बैठी सरकार के दुष्कर्मों का सारा दंड अब विपक्ष मे बैठी भाजपा भुगतने के लिये तैयार रहे !


2.अभी तक यह भी व्यवस्था थी कि लोकसभा चुनावों मे केन्द्र मे बैठी दुष्कर्मों मे लिप्त सरकार के कामकाज पर मीडिया मे जोर शोर से चर्चा हो-यह व्यवस्था सड़ी गली है-केजरीवाल जी चाहते हैं कि केन्द्र मे बैठी सरकार ने पिछले 10 सालों मे जितने मर्ज़ी दुष्कर्म किये हों, उनकी चर्चा का मौका मीडिया को हर्गिज़ नही देना चाहिये-लिहाज़ा केजरीवाल और उनके सभी सखा सहयोगियों ने यह फैसला किया है कि वे सब मिलकर 24 घंटे ऐसी ऐसी रोचक नौटकियां किया करेंगे कि मीडिया उन्ही को दिखाने मे 24 घंटे उलझा रहे और केन्द मे बैठी सरकार के दुष्कर्मों पर चर्चा करने के लिये मीडिया के पास समय ही ना बचे !

3. एक और वाहियात सी व्यवस्था अभी तक मौजूद है-वह यह कि देशद्रोहियों,आतंकवादियों और अलगाववादियों को वेवजह ही कड़ा दंड दिया जाता है-इन लोगों को अपना काम बेरोकटोक करते देना चाहिये ! अभी हाल ही मे मेरठ की एक यूनिवर्सिटी मे 67 देशद्रोहियों ने "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाये तो यू पी की सरकार ने उन पर केस दर्ज़ करने का नाटक किया और जैसे ही प्रदेश के मुख्य मंत्री जी को उमर अब्दुल्ला और केजरीवाल जी की भावनाओं का पता चला, उन्होने केस वापस लेने मे एक पल की भी देर नही लगाई-आखिर केजरीवाल जी व्यवस्था परिवर्तन करना चाहते है और किसी "सेक्युलर" आदमी की क्या मज़ाल जो इसका विरोध कर सके !

अब यह सवाल तो केजरीवाल जी से कोई पूछ नही सकता कि व्यवस्था परिवर्तन की यह रोचक और आनंदवर्धक नौटंकी वे किसके इशारे पर और किसको फायदा पहुंचाने के लिये कर रहे हैं-क्योंकि नयी व्यवस्था के अनुसार सवाल पूछने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल जी को है !
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Published on 21/3/2014

क्या AK-47 टिक पायेगी AK-49 के सामने ?

खूब चाव से देख रहे  सब झाडू वाली नौटंकी !
कठपुतली भी शर्माती हैं, देख हमारी नौटंकी!!

"देशप्रेम" तो "राजनीति" है, "देशद्रोह" है "जनसेवा"
हमको  तो जारी  रखनी है, जनसेवा  की  नौटंकी !!

सदा कैमरों मे हम रहते इस नौटंकी की खातिर
हमको तो है जान से प्यारी, अपनी न्यारी नौटंकी

फूलों का जो नही मिले तो, जूतों का ही हार मिले
मेहनत तो हमने भी की है, खूब रचाई नौटंकी !!

फेल हुई AK-47 , अब AK-49 की बारी है !
दोनो  की प्रतिस्पर्धा  मे भारी पड़ती नौटंकी !!

AK-47 और AK-49 का रिश्ता  बड़ा पुराना है !
दोनो का ही एक निशाना-बने "बनारस" नौटंकी !!

जिन मुददों पर आये यहाँ तक, उन मुददों को भूल गये
जनता  क्या इतनी  पागल है, नही समझती नौटंकी ?

दौड़ा- दौड़कर  के जनता, हमे  खूब  तब  मारेगी !
अगर कहीं ये फ्लॉप हो गयी, सबकी प्यारी नौटंकी

हार जीत से नही वास्ता, हम तो बस  कठपुतली हैं !
कुछ भी हो मोदी रुक जाये, तभी सफल हो नौटंकी !!
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Published on 27/3/2014

पी एम पद की दौड़ मे मोदी किस नंबर पर ?

आजकल टेलीविजन पर "कौन बनेगा प्रधानमंत्री ?" नाम से खूब कार्यक्रम दिखाये जा रहे हैं-ठीक भी है जब लोकसभा चुनाव सर पर हों और हर ऐरे गैरे नत्थू खैरे को पी एम बनने के सपने दिन दहाड़े आ रहे हों,तो इस तरह के प्रोग्राम अगर टेलेविजन पर 24 घंटे भी दिखाये जाएं, तो उसमे मेरे हिसाब से कोई हर्ज़ नही है ! जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उनके देश का प्रधानमंत्री कैसा और किस पार्टी से होना चाहिये ! पिछले लगभग 66 सालों से हमारे देश मे "सेकुलरिज्म" के नाम पर जो देश विरोधी और जन विरोधी माहौल बनाया जा रहा है और जिसका मीडिया अपनी पूरी जी जान से मेहनत लगा लगाकर प्रचार कर रहा है, उसके चलते आम राय यही बन रही है कि हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष देश है और उसका प्रधानमंत्री भी किसी बहुत बड़े "धर्मनिरपेक्ष" नेता (मीडिया की जुबान मे "सेक्युलर" नेता) को बनना चाहिये !

अब हमारे यहाँ कौन कौन से नेता ऐसे हैं जो इस "सेकुलरिज्म" की कसौटी पर पूरी तरह से खरे उतरते है, उनकी लिस्ट पर भी गौर कर लिया जाये :

1. सभी मोर्चों पर बुरी तरह मार खाकर पिछड़ रहे राहुल गाँधी इस कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरते हैं और उन्हे 100 मे से 100 अंक दिये जा सकते है- इनकी पार्टी मे ऐसे ऐसे दिग्गज नेता रह चुके है जिन्होने देश की आन बान शान की रक्षा के लिये श्री हाफ़िज़ सईद और श्री ओसामा बिन लादेन जी जैसे देशभक्तों की शान मे कभी कोई गुस्ताखी नही की- इनकी सरकार के गृह मंत्री पहले ही इस तरह के आदेश जारी कर चुके हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय के किसी भी निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार ना किया जाये( जैसे कि कोई निर्दोष है या दोषी इसका फैसला करना अदालत का नही,पुलिस का काम है) -लिहाज़ा कांग्रेस पार्टी का "सेकुलरिज्म" के मामले मे बड़ा ही गौरवशाली इतिहास रहा है और इसलिये इनकी पार्टी के राहुल गाँधी जी पी एम बनने के लिये सबसे प्रबल"सेक्युलर" दावेदार हैं.

2.दिल्ली मे 49 दिनो मे सरकार चलाकर प़ूरे देश की जनता को भ्रष्टाचार से पूरी तरह निज़ात दिलाने वाले अरविन्द केजरीवाल इस दौड़ मे दूसरे नंबर पर आते है! केजरीवाल जी यह समझते हैं कि शीला दीक्षित के गवर्नर बनने के साथ ही भ्रष्टाचार इस देश से पूरी तरह समाप्त हो चुका है- इसलिये उन्होने भी अब अपने आपको पूरी तरह से "सेक्युलर" घोषित कर दिया है- इस कोशिश मे कि "सेकुलरिज्म" मे उन्हे किसी दूसरे नेता से कम करके न आंक लिया जाये उन्होने बहुत सारे "सेक्युलर" लोगों की अपनी पार्टी मे भरती कर डाली है-अभी हाल ही मे मेरठ की एक यूनिवर्सिटी मे 67 देशद्रोहियों के खुलकर समर्थन मे आने के बाद उन्होने यह भी साबित कर दिया कि "सेकुलरिज्म" के मामले मे वे उमर अब्दुल्ला और मुलायम सिंह यादव से बिल्कुल भी पीछे नही है, बल्कि दो कदम आगे ही हैं- "मोदी" का 24 घंटे किया जाने वाला विरोध करना उनकी अतिरिक्त योग्यता ही समझी जानी चाहिये

3. इन दोनो के अलावा जो और "सेक्युलर" उम्मीदवार पी एम बनने की दौड़ मे शामिल हैं, उनमे जेल मे चक्की पीस कर कुछ दिनो के लिये बाहर आये लल्लू यादव,मुलायम सिंह,मायावती,ममता और नीतीश जैसे बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं ! इन्होने "सेकुलरिज्म" के क्षेत्र मे जो योगदान दिया है उसके बारे मे कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा ही है !

राष्ट्रवादी सोच और विचारधारा वाले मोदी जैसे नेता जो यह चाहते हों कि देश का भी विकास हो और देश मे रहने वाला हर व्यक्ति भी खुशहाल हो (चाहे वह किसी भी धर्म,सम्प्रदाय या जाति का हो)- अगर ऐसा कोई नेता हुआ तो उसे "सेक्युलर" नही माना जायेगा और उसे पी एम बनने से रोकने की हर संभव कोशिश इन "सेक्युलर" नेताओं के द्वारा की जायेगी !
Published on 31/3/2014

रोक नही सकता अब कोई मोदी की सरकार !

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देशद्रोहियों  पर अब  होगी कोडों की बौछार !
क्योंकि अब आने वाली है मोदी की सरकार !!

मोदी-विरोधियों की अब पड़ेगी जमकर मार !
आयेगी  जब अबकी  बार मोदी की सरकार !!

चीन और पाकिस्तान मे- मचा है हाहाकार !
आने वाली है क्योंकि अब, मोदी की सरकार !!

नही  फैलने  पायेगा अब  आगे  भ्रष्टाचार !
आखिर अब तो आयेगी ही मोदी की सरकार !!

जाति-धर्म की राजनीति का होगा बंटाधार !
जब आयेगी  देश  मे मोदी  की  सरकार !!

हर हाथ को काम मिलेगा, निर्बल को अधिकार !
आने  ही वाली है  अब तो मोदी की सरकार !!

राम-रहीम, श्याम-सलीम-सबकी यही पुकार !
अब तो बस आ  जाने दो मोदी  की सरकार !!

झेल चुके 66 सालों से  व्यापक अत्याचार !
जल्दी ही आ जाये अब तो मोदी की सरकार !!

गद्दारों जितना मर्ज़ी तुम कर लो दुष्प्रचार !
रोक नही सकता अब कोई मोदी की सरकार !!

देश छोड़कर भाग जायेंगे, सबके सब गद्दार !
जैसे ही बनने को होगी मोदी की सरकार !!
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rajeevg@hotmail.com
Published on 2/4/2014

केजरीलाल फेल- कांग्रेस ने शुरु किया सांप्रदायिकता का खेल !!

जब कांग्रेस ने देखा कि अपनी एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाबजूद भी केजरीलाल जी मोदी और भाजपा का रास्ता रोकने मे नाकाम साबित हो रहे हैं-तो उसके आला नेता एकदम हरकत मे आ गये-आखिर चुनावों के लिये समय ही कितना बचा है? 60 साल तक कांग्रेस और उसके "सेक्युलर" सहयोगी दलों ने दुष्प्रचार का सहारा लेकर ही तो सत्ता सुख का आनन्द लिया है !

मनमोहन और राहुल को तो जनता ने पहले ही पूरी तरह धिक्कार दिया था-लिहाज़ा अब बारी सोनिया गाँधी की थी सो उन्होने ही मोर्चा संभाल लिया-अब तक सोनिया जी को यह तो समझ मे आ चुका है क़ि उनके केजरीलाल जी भाजपा और मोदी का कुछ खास नही बिगाड़ पायेंगे-अब तो सोनिया जी को डर इस बात का सता रहा है कि केजरीलाल जी की नौटंकी का अब जनता के बीच मे उल्टा असर पड़ना शुरु हो गया है और उसका भाजपा को नुकसान कम और फायदा ज्यादा पहुंचने की संभावना है !


कांग्रेस को सत्ता मे रहने की खराब आदत आज़ादी के बाद से ही पड गयी थी- कैसे ना कैसे करके जनता को हर बार कोई ना क़ोई नया झुनझुना पकड़ा कर कांग्रेसी लोग जबरदस्ती सत्ता पर क़ाबिज़ होते आये हैं- पहली बार जब उन्हे लगा कि इस बार कोई झुनझुना जनता नही खरीदने वाली है तो उन्हे अपने केजरीलाल जी के अंदर "ट्रंप कार्ड" नज़र आ गया और उन्होने केजरीलाल जी को मोदी को रोकने की सुपारी दे डाली-लेकिन दोनो का दुर्भाग्य क़ि अपने केजरीलाल जी अपनी लाख कोशिशों के बाबजूद बुरी तरह फेल हो गये और सोनिया जी को अपना "साम्प्रदायिकता" का आखिरी दाव खेलने के लिये मजबूर होना पड़ा और वह दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम की चरण वन्दना करते हुये मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ करने का जुगाड़ करने लगीं.

लेकिन जामा मस्जिद के इमाम से मिलना और मुस्लिमों को वोट बैंक समझते हुये उनका सौदा करना इतना आसान थोड़े ही है- इसके लिये और भी तो काम जरूरी है और वह सारे काम तो बड़े आसान हैं-दरअसल जगह जगह कुछ दुकानदारों और ठेकेदारों ने "स्टिंग ऑपरेशन" करने की छोटी बड़ी दुकाने खोल रखी हैं- इन दुकानो के मालिक अपने आपको "संपादक" या फिर "खोजी पत्रकार" कहकर महिमामंडित करते रहते हैं ताकि जो जनता इनकी ओछी हरकतों से अनजान है, वह इन्हे थोड़ा बहुत संम्मान देती रहे !


जब किसी राजनीतिक दल को जरूरत होती है, यह उसकी मर्ज़ी के हिसाब से झूठा सच्चा "स्टिंग ऑपरेशन" करके अपने आपको धन्य महसूस करते हैं ! अभी आज ही एक ऐसे ही दुकानदार महाराज का "बाबरी मस्जिद" पर "स्टिंग ऑपरेशन" आया है-बाबरी मस्जिद मे क्या हुआ और उसके लिये कौन लोग जिम्मेदार थे, वह सारा देश पहले से जानता है और उसमे कुछ भी ऐसा नया घटित नही हुआ है जिसके लिये अब कई दशकों के बाद उस स्टिंग ऑपरेशन को दिखाया जाये लेकिन सवाल यह है कि जो तहलका,गुलेल और कोब्ररापोस्ट नाम की दुकाने खुली है-उन्हे अपना धंधा भी तो चलाना और चमकाना है-कभी कभी यह लोग अपने धंधे को चमकाने मे इतने ज्यादा मशगूल हो जाते है कि सीधे जेल मे जाकर चक्की पीसनी शुरु कर देते है !

एक ऐसे ही दुकानदार आम आदमी पार्टी की टिकट पर लोकसभा मे जाने की कोशिश भी कर रहे है- वह लोकसभा पहुंचेंगे या फिर अपने अभिन्न साथी तेजपाल महाराज का साथ निभाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा !
==================================Published on 4/4/2014




किसके इशारे पर किये ज़ा रहे हैं मोदी पर हमले ?

नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा पिछले लगभग 12 सालों से जिस तरह का दुष्प्रचार किया जा रहा है उसका कारण 2002 मे गुजरात मे हुये दंगे नही है. अगर दंगों की वजह से ही यह दुष्प्रचार हो रहा होता तो फिर यह दुष्प्रचार बाकी सभी राजनीतिक दलों के लगभग सभी नेताओं के खिलाफ भी किया जाता क्योंकि ऐसा कोई भी राजनीतिक दल नही है जिसकी सरकार मे दंगे नही हुये हों और शायद ही किसी पार्टी का कोई ऐसा नेता होगा जो दंगों के लिये दोषी ना हो ! फर्क यही है कि दुष्प्रचार के चलते मोदी जैसे नेता के खिलाफ दुनिया भर के झूठे मुकदमे दायर कर दिये जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट से बार बार क्लीन चिट मिलने के बाबजूद यह दुष्प्रचार और देशद्रोहियों द्वारा किये जा रहे हमले बंद नही होते जबकि मुज़फ़्फरनगर दंगों के लिये आज तक ना तो किसी ने अखिलेश यादव और ना ही आज़म ख़ान की गिरफ्तारी की मांग की है और ना ही 1984 के देशव्यापी दंगों के लिये किसी ने सोनिया गाँधी या राजीव गाँधी की गिरफ्तारी की मांग की थी ! इन लोगों के खिलाफ किसी तरह का दुष्प्रचार नही हुआ और यह लोग तब भी "सेक्युलर" थे, आज भी "सेक्युलर" हैं और शायद आगे भी "सेक्युलर" ही रहेंगे !

अमेरिका जैसे देश ने यह कहकर मोदी को वीजा देने से मना कर दिया कि वह दंगों के लिये दोषी है- अगर अमेरिका का यह बहाना ठीक होता तो अमेरिका को भारत के बहुत सारे राजनीतिक दलों के बहुत सारे नेताओं को वीजा देने से मना करना पड़ता ! अमेरिका दरअसल यहीं पर पकड़ा गया और उसे भी अब लगने लगा है कि भारत मे सत्ता परिवर्तन होने वाला है अपने इस दुष्कर्म से घबराया अमेरिका मोदी के पी एम बनने के खयाल से ही बेहद खौफ मे है और उसी खौफ के चलते भारत मे अमेरिकी राजदूत नेन्सी पॉवेल दुम दबाकर भाग निकलने की फ़िराक़ मे है ! मजे की बात यह है की अमेरिका को मुस्लिम भाईओं से इतनी हमदर्दी कब से होने लगी कि उसने गुजरात दंगों की वजह से मोदी को वीजा देने से मना कर दिया!ऊपर से गुजरात दंगा भारत का आंतरिक मामला था जिसमे अमेरिका को दखल देने की जरूरत भी नही थी ! दरअसल अमेरिका मोदी से इसलिये बेहद नाराज़ था क्योंकि मोदी ने ईसाइओं द्वारा जबरन हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन पर सख्ती के साथ गुजरात मे रोक लगा दी थी और उसकी देखा देखी भाजपा शासित अन्य राज्यों ने भी यही सख्ती अपनानी शुरु कर दी थी !

दरअसल प़ूरे देश मे हज़ारों ऐसी एन जी ओ चल रही है जिनको फ़ोर्ड फाउंडेशन जैसी अमेरिकी संस्थाओं से अपार धन सिर्फ इसी काम के लिये मिल रहा है की वे भारत मे ना सिर्फ ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करें, बल्कि मौका लगते ही हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने से भी बाज़ ना आयें. इन संस्थाओं को चलाने वाले तथाकथित समाजसेवियों का कोई और धंधा तो है नही लिहाज़ा ये लोग पूरी तरह से अपने जीवन यापन के लिये इसी अमेरिकी सहायता पर आश्रित हैं-अमेरिका के इशारे पर इन तथाकथित एन जी ओ और उनके चलाने वालों ने मोदी के खिलाफ जमकर हल्ला बोल दिया ! कांग्रेस पार्टी और उसकी पिछलग्गू राजनीतिक पार्टियों को तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गयी- अमेरिका तो किसी और वजह से मोदी पर हमले करवा रहा था-लेकिन इन तथाकथित "सेक्युलर" लोगों का मुफ्त मे ही उल्लू सीधा हो रहा था सो यह लोग भी उस दुष्प्रचार मे बढ चढकर शामिल हो गये !

अमेरिकी सहायता से जो एन जी ओ चलाये जा रहे है उनको चलाने मे बहुत सारे ऐसे पत्रकार भी शामिल है जो " गोबरापोस्ट" जैसी " दुष्प्रचार की दुकाने" चलाकर ही अपनी रोजी रोटी कमा रहे है और यह लोग प्राइम टाइम पर टेलीविजन पर गला फाड़ फाड़कर मोदी के खिलाफ अनाप शनाप बकवास करके अमेरिका मे बैठे अपने आकाओं को अपनी वफादारी का सुबूत देते रहते हैं!

कांग्रेस और उसकी पिछलग्गू पार्टियों को अमेरिका द्वारा करवाया जा रहा यह दुष्प्रचार खूब भा रहा था क्योंकि इसके चलते यह लोग अपने आप को जबरदस्ती "सेक्युलर" साबित करने पर तुले हुये थे ! लेकिन अब जब अमेरिका को भी यह लगने लगा है कि भारत की देशभक्त जनता अब जाग चुकी है और उसके दुष्प्रचार का अंत होने वाला है तो उसे भी अपने दुष्कर्मों के लिये मिलने वाले दंड का डर लगातार सता रहा है ! भारत मे अमेरिकी राजदूत नेन्सी पावेल की विदाई को उसी दिशा मे एक संकेत के रूप मे देखा जाना चाहिये !
Published on 10/4/2014

16 मई के बाद क्या करेंगी सोनिया और उनकी कांग्रेस पार्टी ?

दुनिया की सबसे भ्रष्ट और निकम्मी पार्टी की मुखिया सोनिया गाँधी आजकल अपनी बौखलाहट को छुपाने मे पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है और उन्हे 24 घंटे इस बात का डर सता रहा है कि केन्द्र मे आने वाली अगली भाजपा सरकार उन्हे उनके दुष्कर्मों के लिये कैसे जेल मे चक्की पीसने को मजबूर कर सकती है ! सोनिया ने जैसे जेल मे चक्की पीस रहे लल्लू को बिहार मे अपनी सेवा करने के लिये जेल से बाहर निकाला है, शायद सोनिया को जेल से निकालने कोई भी ना आये क्योंकि लल्लू ने तो सिर्फ चारा घोटाला करके बिहार की ही दुर्दशा की थी, लेकिन "नौटंकी क्वीन" सोनिया गाँधी और उनकी पार्टी के काले कारनामे तो खुल खुलकर जनता के सामने जैसे किश्तों मे सामने आ रहे हैं, उसका सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा है ! अरबों-खरबों के हज़ारों घोटाले करने के बाद अब चुनावी मौसम मे सोनिया गाँधी को अपने किये हुये अपराधों के दंड का भय सता रहा है और वह किसी ना किसी तरह से यह चाहती है कि या तो उनकी सरकार दुबारा से सत्ता मे आ जाये या फिर खंडित जनादेश के जरिये कुछ ऐसी खिचडी सरकार बन जाये जिसकी कमान उनके हाथ मे ही रहे- वैसे तो मनमोहन सरकार की असली कमान भी सोनिया के ही हाथों मे है और इस गैर संवैधानिक दुष्कर्म से भी पर्दा भी हाल ही मे आई दो किताबों के जरिये देश की जनता के सामने उठ चुका है !

सोनिया और उनकी पार्टी को अगर अभी भी यह लगता है कि उनकी पार्टी और उनके तथाकथित नेताओं को अभी भी जनता का समर्थन प्राप्त है और आने वाले चुनावों मे उनके सभी प्रत्याशियों की जमानतें जब्त नही हो जायेंगी तो उसके पीछे यही विश्वास काम कर रहा है कि किसी ना किसी तरह की नौटंकी या दुष्प्रचार इस बार भी काम कर जायेगा और कांग्रेस और सोनिया का सत्ता मे दखल बना रहेगा ! इस बार लेकिन लग ऐसा रहा है की कांग्रेस और सोनिया दोनो के पाप का घड़ा पूरी तरह ना सिर्फ भर चुका है, बल्कि अब छलकने भी लगा है और उसकी घबराहट बाकी कांग्रेस के नेताओं मे तो पहले से ही थी, सोनिया पर भी वह घबराहट अब सर चढकर बोलने और दिखने लगी है!

केजरीलाल और राहुल गाँधी को साइड मे करके सोनिया जिस तरह खुद मैदान मे कूद पड़ी है और घोर साम्प्रदायिकता की राजनीति करते हुये कभी शाही इमाम से यह अपील करवाती है की मुस्लिम मतदाता सिर्फ सोनिया महारानी की पार्टी को वोट करें या फिर उनके द्वारा किया जाने वाला यह दुष्प्रचार कि मोदीजी पी एम बन गये तो देश टुकड़े टुकड़े हो जायेगा, उनकी इसी बौखलाहट का ना सिर्फ सूचक है, बल्कि चुनाव आचार संहिता का खुल्लमखुला उल्लंघन भी है- छोटे मोटे मामलों मे चुनाव आयोग कुछ ना कुछ कार्यवाही शायद कर भी रहा है लेकिन सोनिया के खिलाफ चुनाव आयोग ठोस कार्यवाही कब करेगा और कांग्रेस पार्टी की मान्यता कब रद्द होगी, देश की जनता को अब सिर्फ उसी का इंतज़ार है-अगर चुनाव आयोग कोई कार्यवाही नही भी करता तो भी कांग्रेस और सोनिया की ऐतिहासिक हार अवश्यंभावी है और सभी कांग्रेसी 16 मई के बाद क्या करेंगे, उसके बारे मे उन्हे अभी से विचार करना आरंभ कर देना चाहिये !
Published on 17/4/2014

मोदी हराओ-कांग्रेस बचाओ !

"केजरीलाल कांग्रेस पार्टी "की नौटंकी थमने का नाम ही नही ले रही है ! कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बनाई गयी उनकी पार्टी अब "मोदी हराओ-कांग्रेस बचाओ" के नारे लगाने लगी है-कांग्रेस भी तो यही चाहती है ! पिछले कुछ दिनो के चुनावी भाषण अगर सुने तो यह मालूम ही नही पड़ेगा कि बोलने वाला केजरीलाल है या राहुल गाँधी क्योंकि अब दोनो के मुद्दे एक ही हो गये है ! ऊपर से इन लोगों ने इस नौटंकी को रचाने की भरपूर कोशिस की कि यह दो अलग अलग राजनीतिक पार्टियाँ लगें, लेकिन इनकी पोल पट्टी जल्दी ही खुल कर जनता के सामने आ गयी ! कांग्रेस सरकार ने पिछले 60 सालों मे और खासकर पिछले 10 सालों मे जिस तरह से अरबों खरबों के भ्रष्टाचार और घोटाले किये है, उससे कांग्रेसियों को यह पूरी तरह अंदेशा हो गया था कि भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा मुददा इन चुनावों मे बनने वाला है ! लोगों को बेबकूफ बनाकर ,कभी देश को धर्म के नाम पर कभी जाति के नाम पर बांटकर सत्ता मे बने रहने का कांग्रेस के पास बहुत लम्बा अनुभव है ! इनके सलाहकारों की नींद उड़ी हुई थी कि जिस तरह से हम लोगों ने घोटाले किये है उनके चलते कांग्रेसियों को अपनी जमानत बचानी भी मुश्किल पड जायेगी ! भ्रष्टाचार , कुशासन और मंहगाई से बेहद परेशान लोग सत्ता विरोधी लहर मे भाजपा को ही चुनेंगे यह तो इन कांग्रेसियों को अच्छी तरह मालूम था !

सत्ता विरोधी लहर भ्रष्टाचार के खिलाफ बन चुकी है, इस बात से सभी कांग्रेसी अच्छी तरह वाकिफ थे- यह भी इन लोगों को मालूम था कि देश मे दूसरी बड़ी राष्‍ट्रीय पार्टी भाजपा को इसका सबसे अधिक फायदा मिलेगा और भाजपा की सरकार बनने से कोई नही रोक पायेगा ! लेकिन रोकने की कोशिस भी अगर नही की तो फिर इन्हे कांग्रेसी कौन कहेगा? अब इन्हे सिर्फ इतना इंतज़ाम करना था कि भ्रष्टाचार के नाम पर जो सत्ता विरोधी लहर बनी है, उसकी वजह से जो वोट पड़े, वे भाजपा की जगह किसी और पार्टी को मिल जाएं- लेकिन भाजपा को छोड़कर और पार्टियाँ तो पहले ही भ्रष्टाचार मे फसी हुई थी और कांग्रेस उन्हे सी बी आई का डंडा दिखा दिखाकर अपनी अल्पमत सरकार के लिये समर्थन जुटा रही थी ! सो फैसला यह किया गया कि किसी नयी नवेली राजनीतिक पार्टी का चुनाव आयोग मे फटाफट पंजीकरण कराया जाये और वह पार्टी अपनी राजनीतिक शुरुआत भ्रष्टाचार के मुददे से ही करे ताकि कांग्रेस के खिलाफ जो लहर भ्रष्टाचार की वजह से बनी है, उसका फायदा भाजपा के साथ साथ उस पार्टी को भी मिल सकेऔर सत्ता विरोधी वोट बंट जाएं और कुल मिलाकर सूरते हाल ऐसे बन जाये जिसमे या तो जोड़ तोड करके कांग्रेस फिर तीसरी बार सत्ता मे आ जाये और जनता को लूटना शुरु कर दे या फिर देश मे दिल्ली विधानसभा जैसी हालत बना दी जाये ताकि फिर से चुनाव हों और फिर कांग्रेस को जोड़ तोड करने का कुछ मौका मिल जाये !



अपने केजरीलाल महाराज को तो इस तरह के पाखंड मे और दूसरों पर बेबुनियाद आरोप लगाने मे बड़ी महारत हासिल है सो इन्होने "उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे" की तर्ज़ पर "कांग्रेस" की वजाय भाजपा और मोदी पर ही निशाना साधना शुरु कर दिया-क्योंकि मोदी के खिलाफ कोई भ्रष्टाचार का मामला इन पाखण्डीलाल को ढूंढने से भी नही मिल रहा तो इन्होंने अपने बेसुरे राग मे "मोदी हराओ -कांग्रेस बचाओ" का नारा लगाना शुरु कर दिया क्योंकि इन्हे खुद तो सरकार बनानी नही है-इन्हे इस बात का ठेका मिला हुआ है कि सत्ता विरोधी लहर मे से वोटो का जितना भी प्रतिशत तुम्हारी पार्टी काटकर भाजपा के खाते मे जाने से बचा पायेगी-वही तुम्हारी सफलता का पैमाना होगा और तुम्हारी आगे की तरक्की उसी को देखकर की जायेगी ! अब इस ठेकेदारी के काम मे हमारे केजरीलाल महाराज कितने कामयाब होंगे यह तो 16 माई को ही मालूम पड पायेगा !
Published on 21/4/2014

प्रियंका का जादू सर चढकर बोलेगा ?

पैसों के जादूगर श्री रॉबर्ट वाड्रा जी की धर्मपत्‍नी और गाँधी परिवार की राजनीति मे आखिरी उम्मीद प्रियंका गाँधी आजकल महिला सशक्तीकरण को लेकर काफी चिंतित नज़र आ रही हैं ! वे इस बात से भी काफी खफा नज़र आ रही है कि उनके माननीय पति श्री रॉबर्ट वाड्रा पर 3-4 साल के कम समय मे 1 लाख रुपये से 300 करोड़ रुपये बनाये जाने के जादुई कारनामे को लेकर वेवजह सवाल खड़े किये ज़ा रहे हैं ! उन्होने यहाँ तक कह दिया कि इस तरह के आरोपों से उन्हे और उनके परिवार को काफी जलील किया जा रहा है ! वह सिर्फ यहीं पर नही रुकीं और यह भी कह डाला कि भाजपा के नेता और पी एम उम्मीदवार मोदी तो बंद कमरे मे महिलाओं के फोन सुनते हैं और इसलिये वह महिला सशक्तीकरण कैसे करेंगे ? प्रियंका जी के इस अचानक पैदा हुये आक्रामक रुख को देख कर मोदी जी एकदम घबरा गये हैं और थर- थर कांपने लगे हैं.

प्रियंका जी की बातों को सुनकर कुछ ऐसा भी लगा जैसे महिला सशक्तीकरण और जादुई तरीके से एक लाख रुपये के 300 करोड़ रुपये बनाने मे आपस मे कोई सम्बंध जरूर है ! हो सकता है कि वह यह बताने की कोशिस कर रही हों कि क्योंकि मोदी जी ने बंद कमरे मे महिलाओं के फोन सुने तो उनके पतिदेव को इस बात का खुला लाइसेंस मिल गया की वह 1 लाख से 300 करोड़ 3-4 साल मे क्या, 3-4 दिन मे ही बना डाले.


मोदी के ऊपर प्रियंका जी ने बेबुनियाद व्यक्तिगत हमले तो शुरु कर दिये है लेकिन उस जादुई मंत्र का उन्होने जनता के सामने अभी तक खुलासा नही किया जिसके प्रभाव से 1 लाख रुपये की छोटी सी रकम महज़ 3 या 4 सालों मे 300 करोड़ बन जाती है- मोदी पर अनाप शनाप हमला करने से तो जनता का कुछ भला होने से रहा (प्रियंका जी की पार्टी को नुकसान जरूर हो सकता है)- अगर उन्होने अपने पतिदेव से पूछकर जनता को यह बताया होता कि 1 लाख रुपये से 300 करोड़ रुपये कैसे बनाये जाते हैं, तो रायबरेली और अमेठी की जनता तो क्या, प़ूरे देश की जनता उन्हे और उनकी पार्टी को ऐसा समर्थन देती कि मोदी तो मोदी भाजपा के सभी उम्मीदवारों की जमानते तक जब्त हो जातीं- लेकिन प्रियंका जी से चूक हो गयी और वह मंत्र जनता के सामने उजागर नही कर पायी- खैर अभी भी ज्यादा देर नही हुई है और काफी जगह अभी भी चुनाव होने बाकी है- अगर उससे पहले प्रियंका जी किसी तरह से इस रहस्यमयी जादुई मंत्र को जनता के सामने उजागर कर सकी तो उनका जन समर्थन सिर्फ भारत मे ही नही, सीमाओ को लाँघता हुआ दूसरे देशों तक पहुंच जायेगा और उस हालत मे प्रियंका जी का जादू ऐसा सर चढ कर बोलेगा कि उन्हे सिर्फ राष्‍ट्रीय नही,बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर का नेता मान लिया जायेगा !
Published on 24/4/2014

मोदी को हराने की पाकिस्तानी साज़िश का पर्दाफाश !

हाल ही मे पाकिस्तान से लौटे श्रद्धालुओं के एक दल ने यह बताया है कि जब वे पाकिस्तान मे थे तो पाकिस्तान की सरकार के प्रवक्ता ने एक अधिकारिक बयान जारी करके नरेन्द मोदी को हराने की अपील की है और सबसे यह भी अपील की है कि वे भारत वापस जाकर अपने जानकारों को भी इस बात के लिये प्रेरित करें कि वे मोदी को हराने मे पाकिस्तान की मदद करें !

इस खबर को पढने सुनने के बाद कुछ लोग यह सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान को हमारे अंदरूनी मामलों मे दखल देने की आखिर क्या जरूरत आ पड़ी ! हमारे अपने ही देश मे पिछले 12 सालों से मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों की कोई कमी थोड़े ही है-लल्लू से लेकर नीतीश तक, माया से लेकर मुलायम तक,सोनिया-राहुल से लेकर मनमोहन-प्रियंका तक, सब यही तो कह रहे है जो पाकिस्तान ने अब कहा है-उसने कौन सी नयी बात कह दी है जो इतना हंगामा खड़ा हो गया है ! ममता,जयललिता,केजरीवाल,उमर अब्दुल्ला और अखिलेश यादव भी तो छाती पीट पीट कर यही विलाप किये जा रहे है क़ि कुछ भी कर लो, लेकिन मोदी को हराओ ! और तो और कुछ देशद्रोही लोग, जिन्होने "सेकुलरिज्म" का नकली चोला पहना हुआ है, वह भी दिन रात इसी बात की रट लगाये हुये है कि मोदी को हराओ ताकि पाकिस्तान मे बैठे हमारे आका खुश होते रहें !

पाकिस्तान ने वहा भारतीयों से मोदी को हराने की जो अपील की, उसमे ना तो कुछ नया है और ना ही कुछ चौंकाने वाला है-पाकिस्तान दरअसल एक आतंकवादी देश है और भारत मे आतंकवाद का मुफ्त मे निर्यात करने के लिये जाना जाता है- उसे अच्छी तरह मालूम है कि उसका यह "आतंकवाद के निर्यात" का धंधा अब बंद होने वाला है क्योंकि भारत के स्वघोषित "सेक्युलर" लोग तो मोदी को रोक नही पाये है और उसकी जीत लगभग तय मानी जा रही है ! भारतीय "सेक्युलर" लोगों की जबरदस्त नाकामी को देखते हुये, पाकिस्तान ने अपनी तरफ से मोदी को रोकने की एक ईमानदार कोशिश की है ! पाकिस्तान को लगता है कि "आतंकवाद निर्यात" का उसका जो धंधा निर्बाध रूप से चल रहा है, कहीं ऐसा ना हो कि मोदी के आने से वह चौपट ही हो जाये-सो उसने अपने धंधे को ध्यान मे रखते हुये यह अपील की है-जिसे किसी भी तरह से गलत नही कहा जा सकता है ! मोदी को हराने की इस कोशिश मे हमारे तथाकथित "सेक्युलर" लोग कितने कामयाब होते है और कितनी कामयाबी पाकिस्तान के हाथ लगेगी, यह तो 16 मई 2014 को ही मालूम पड पायेगा !
Published on 25/4/2014

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