Thursday, July 24, 2025

कॉलेज प्रिंसिपल की अय्याशी की कहानियाँ








मिदनापुर जिले में अब तक लड़कियों के लिए कोई कालेज नही था और उन्हें पढ़ाई के लिए या तो दूसरे जिले में जाकर पढ़ना पड़ता था या फिर 12 वीं पास करके की बैठ जाना पड़ता था। शहर के बहुत बड़े सेठ धनपत राय का लड़का समीर जो अभी अभी विदेश से पढ़ाई पूरी करके वापस आया था, उसने अपने पिता को यह आईडिया दिया: पापा, हमे इस शहर में एक गर्ल्स कॉलेज खोल देना चाहिए। उसमे हमे बहुत कमाई होगी क्योंकि इस धंधे में हमारा कोई कम्पटीशन नही है। मैं उस कालेज का प्रिंसिपल बनने के लिए तैयार हूं। बाकी सारी व्यवस्था मैं कर लूंगा। आप सब मुझ पर छोड़ दो।

सेठ जी को अपने विदेश से पढ़कर लौटे 27 साल के बेटे की बात जँच गई और उन्होंने आनन फानन में अपने धन बल के जोर पर सेठ धनपत राय गर्ल्स डिग्री कॉलेज की स्थापना कर दी। कॉलेज में समीर खुद प्रिंसिपल बनकर निरंकुश होकर काम करने लगा। समीर बेहद अय्याश किस्म का लौंडा था और उसका गर्ल्स कॉलेज खोलने का आईडिया भी अपनी अय्याशी पूरी करने का एक जरिया मात्र था।

कॉलेज में उसने बेहद खूबसूरत लड़कियों को टीचर की पोस्ट पर रखकर उन सबके लिए भी ड्रेस कोड तय कर दिया। सभी टीचरों को ड्रेस कोड के हिसाब से ब्लैक कलर की टाइट ड्रेस में आना था। ड्रेस इस तरह की थी जिसमे सभी टीचरों की फिगर एकदम साफ दिखती रहे।

कॉलेज में जितनी भी लड़कियाँ पढ़ने के लिए आती थीं वे सभी 12 वीं पास होती थीं और लगभग 18 साल की होती थीं। उन सबके लिए भी समीर ने ड्रेस कोड तय कर दिया था। सभी लड़कियों को सफेद टाइट शर्ट और घुटनों से 2 इंच ऊपर तक की नीली स्कर्ट पहननी थी। यही नही, गर्ल्स स्टूडेंट को स्कर्ट के नीचे अंडरवियर और शर्ट के अंदर ब्रा भी सफेद रंग की ही पहननी थी।

समीर ने अपनी अय्याशी के लिए कॉलेज की स्टूडेंट्स के लिए बेहद सख्त नियम बना दिये थे: सभी लड़कियों के लिए जो नियम बनाये गए थे, उनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार है:

1. सभी लड़कियाँ कॉलेज की बताई गई यूनिफार्म पहनकर ही कॉलेज आएंगी। कोई भी टीचर या प्रिंसिपल किसी भी लड़की की यूनिफार्म चेक कर सकता है। यूनिफार्म ठीक न होने पर प्रिंसिपल के पास जाकर लड़की को सज़ा लेनी होगी।

2. सभी लड़कियाँ ठीक 9 बजे सुबह को कॉलेज में दाखिल होकर अपनी इलेक्ट्रॉनिक अटेंडेंस दर्ज करेंगी। देर से आने वाली लड़कियों को प्रिंसिपल सर सज़ा देंगे।

3. जो लड़कियाँ अपना होम वर्क पूरा नही करेंगी, उन्हें भी प्रिंसिपल सर के पास जाकर सज़ा लेनी होगी।

4. हर महीने लड़कियों की लिखित परीक्षा ली जाएगी जिसमें कम से कम 60 प्रतिशत मार्क्स लाने जरूरी होंगे। जिनके मार्क्स 60% से कम होंगे उन लड़कियों को भी प्रिंसिपल सर के पास जाकर अपने लिए सज़ा की माँग करनी होगी।

5. कोई भी लड़की अगर अनुशासनहीनता करती हुई पाई गई, तो भी उसे प्रिंसिपल के पास जाकर सज़ा लेनी होगी।

समीर ने सारे नियम इस तरह से बनाये थे कि किसी भी टीचर के पास लड़कियों को सज़ा देने की कोई पावर नही थी। लड़कियां कुछ भी करें तो उसके लिए सज़ा सिर्फ समीर ही दे सकता था।

कॉलेज का पहला सेशन शुरू हो चुका था। पूरे जिले की लगभग 500 लड़कियों ने अलग अलग कोर्स के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया था। समीर ने सभी क्लास रूम में सी सी टी वी कैमरे लगवा रखे थे और अपने प्रिंसिपल आफिस में बैठकर वह सभी क्लास रूम पर नज़र रखता था।

कॉलेज का आज पहला दिन था। टीचरों को समीर ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि पहले दिन से ही नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए और जो लड़की नियमों का उल्लंघन करती पाई जाए उसे सज़ा के लिए समीर के पास भेजा जाए।

10 बजे से ही समीर के आफिस के बाहर लड़कियों की लाइन लगनी शुरू हो गयी। समीर का लण्ड अब एकदम खड़ा हो चुका था जिसे वह अपने हाथों से एडजस्ट करते हुए सहला रहा था। 


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