Sunday, November 6, 2016

कश्मीर को सेना के हवाले करो

मैं अपने कई लेखों मे यह जिक्र करता रहता हूँ कि पिछले 60 सालों के कुशासन मे देश मे किस तरह से देश विरोधी या फिर कहें कि देश द्रोही ताकतों का शासन चल रहा था-कुछ पाठक मेरी इस बात से खासे खफा रहते है और उनका कहना यह होता है कि मुझे भाजपा के अलावा बाकी सभी दल देश विरोधी या देश द्रोही नज़र आते हैं. लेकिन उन लोगों की बात इस आरोप पर ही खत्म हो जाती है. जिन तर्कों के आधार पर मैने यह लिखा होता है कि पिछले 60 सालों मे किस तरह से देश विरोधी षड्यंत्र चल रहा था, उसका उनके पास कोई जबाब नही होता है.

ताज़ा खबर यह है कि आतंकवादी ज़ाकिर नाईक की एन जी ओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने 2011 मे राजीव गाँधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपये का चंदा दिया था. दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के कयी नेता ज़ाकिर नाईक के समर्थन मे पहले ही उतर चुके है- दिग्विजय सिंह को तो सभी देशद्रोहियों और आतंकवादियों से हमेशा ही खास तरह का लगाव रहा है-चाहे वह-"हाफ़िज़ सईद साहब" के लिये हो या फिर "ओसामा बिन लादेन जी" के लिये. आज भी देश मे अगर कहीं "पाकिस्तान जिंदाबाद", "याकूब मेमन जिंदाबाद" या फिर "अफ़ज़ल गुरु जिंदाबाद" के नारे लगते हैं,तो इनके नेता उसका समर्थन करने के लिये सबसे पहले पहुंचकर अपनी हाज़िरी दर्ज़ करवाने की कोशिश करते हैं.

कांग्रेस पार्टी और उसके साथ बंदरबाँट मे भागीदार अन्य राजनीतिक पार्टियों के इस चरित्र से देश की अधिकांश जनता पूरी तरह वाकिफ है और इसलिये ऐसी किसी भी घटना से जनता को ज्यादा हैरानी नही होती है- जब इस पार्टी के एक बड़े नेता उत्तर प्रदेश चुनावों की तैयारी के सिलसिले मे अभी हाल ही मे एक "खाट सभा" करने वहाँ पहुंचे तो जनता ने सभा खत्म होते ही इस पार्टी और उसके नेताजी की "खटिया ही खड़ी कर दी".

कश्मीर मे पिछले 70 सालों से देशद्रोही अलगाववादियों की वजह से अशान्ति का माहौल बना हुआ है. यह खुलासा अभी हाल ही मे हुआ है कि इन देशद्रोही अलगाववादियों के शान-ओ-शौकत से रहन-सहन का इंतज़ाम हमारी पिछली सरकारें करोड़ों रुपया खर्च करके कर रही थीं. जो लोग पिछले 60 सालों से देश की सत्ता पर क़ाबिज़ थे, वे लोग ना सिर्फ कश्मीर समस्या के जन्मदाता हैं, बल्कि उसे पिछले 60 सालों मे पल्लवित-पोषित करने मे भी उनका बड़ा हाथ रहा है. जिन कश्मीरी अलगाववादियों को गिरफ्तार करके देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिये था और फांसी पर लटकाना चाहिये था, उनकी आवभगत पिछली सरकारें इस तरह कर रही थी, मानो वे सब "सरकारी दामाद" हों. देशद्रोही अलगाववादी गीलानी ने हाल ही मे अपना बयान देकर पाकिस्तान को अपना दोस्त और भारत को अपना दुश्मन बताया है-किसी और देश मे अब तक ऐसी मानसिकता वाले लोगों को सारे आम फांसी लगा दी गयी होती.

हो सकता है, अभी और भी कुछ खुलासे होने बाकी हों, लेकिन जितने भी खुलासे अब तक हो चुके हैं, उनके मद्देनज़र यही उचित है कि कश्मीर मे सरकार बनाने का नाटक बंद करके, कश्मीर को सेना के हवाले किया जाये और सेना को खुली छूट देकर हर देशद्रोही को वहां से खदेड़ने की हिदायत दे दी जाये. जो गद्दार इस कार्यवाही का विरोध करे, सेना पहले उसी को ठिकाने लगाने का काम करे.
Published on 10/9/2016

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