Sunday, January 9, 2022

PM मोदी की हत्या करने की कांग्रेस की साज़िश का पर्दाफाश

 


PM मोदी  की हत्या करने की कांग्रेस की साज़िश का पर्दाफाश  

कांग्रेस के हाथ से जब से केंद्र की सत्ता गयी है, तब से ही कांग्रेस पार्टी और इसके नेता बेहद बौखलाए हुए हैं. एक के बाद एक होने वाले चुनावों में कांग्रेस की हार का एकमात्र कारण कांग्रेस मोदी को ही मानती है और इसलिए पहले ही दिन से वह मोदी को अपने रास्ते से "हटाकर" सत्ता में आने के लिए बेचैन हो रही है. समय समय पर अलग अलग नामों से तरह तरह के आंदोलन कांग्रेस द्वारा प्रायोजित किये जाते रहे हैं-इन सभी आंदोलनों में अक्सर मोदी को "हटाने" के लिए नारे लगाए जाते रहे हैं.

भीमा कोरेगांव मामले में जो वामपंथी आतंकी मोदी की हत्या की साज़िश के सिलसिले में पकडे गए थे, उन्हें भी कांग्रेस पार्टी का ही समर्थन था

हाल ही में 5 जनवरी 2022 को पंजाब में एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी ने मोदी की हत्या की साज़िश को खुले तौर अंजाम दिया हालांकि कांग्रेस इस बार भी मोदी की हत्या करने या करवाने में कामयाब नहीं हो सकी.

मोदी की पंजाब यात्रा की पूरी जानकारी पंजाब सरकार को यात्रा से काफी पहले ही उपलब्ध करा दी गयी थी और इसकी जानकारी पंजाब सरकार के अलावा और किसी को नहीं थी- पंजाब सरकार ने मोदी की यात्रा की पूरी जानकारी खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ सिर्फ साझा की बल्कि, उन्हें मोदी का रास्ता रोककर उन्हें घेरने के लिए भी पूरी सुविधा भी प्रदान कर दी गयी .मोदी को एक फ्लाईओवर पर ऐसी जगह रोक दिया गया जहां से पाकिस्तान की सीमा मात्र 30 किलोमीटर दूरी पर थी और वहां से बचकर निकलने का और कोई रास्ता भी नहीं था. मोदी को फंसाकर किस तरह से उनकी हत्या की जानी थी, उसका एक एनिमेटेड वीडियो एक साल पहले ही यू ट्यूब पर डाल दिया गया था. सारी साज़िश को उसी तरह से अंजाम दिया जा रहा था जिस तरह से वीडियो में दिखाया गया था लेकिन मोदी जी की शायद उम्र लम्बी थी जो वह 20 मिनट उस फ्लाईओवर पर रास्ता खुलने का इंतज़ार करने के बाद वापस गए. गौर करने वाली बात यह है कि इस बीस मिनट की समयावधि में मुख्यमंत्री चन्नी और उनके अधिकारीयों ने पी एम की एस पी जी टीम का फोन भी नहीं उठाया-इसका मतलब साफ़ है कि इन बीस मिनटों के अंदर की कांग्रेस पार्टी के नेता मोदी के साथ कुछ अनहोनी की प्रतीक्षा कर रहे थे.

कांग्रेस की साज़िश इस बात से भी साबित हो जाती है कि मोदी के साथ जो एस पी जी के चीफ चल रहे थे, उन्होंने पंजाब के डी जी पी से पूरे बारह बार बातचीत की थी और उन्हें हर बार पंजाब के डी जी पी ने यही बताया कि रास्ता एकदम खाली पड़ा हुआ है -जहाँ एक तरफ पंजाब के डी जी पी मोदी की एस पी जी को यह बता रहे थे कि रास्ता खाली पड़ा हुआ है, दूसरी तरफ वह पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी से यह पूछ रहे थे कि यह खालिस्तानी प्रदर्शनकारी रास्ता रोककर खड़े हुए हैं, इनसे कैसे निपटना है ?

मुख्यमंत्री चन्नी ने पंजाब के डी जी पी से यह कह दिया कि खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग नहीं होना चाहिए. मज़े की बात यह है कि मुख्यमंत्री चन्नी पंजाब के डी जी पी से लगातार फोन पर संपर्क में बने हुए थे लेकिन जिन 20 मिनटों तक मोदी जी फ्लाईओवर पर फंसे हुए थे उन्होंने उनका या उनकी एस पी जी टीम का फोन तक नहीं उठाया. नियमानुसार सिर्फ मुख्यमंत्री चन्नी को, बल्कि पंजाब के डी जी पी और चीफ सेक्रेटरी को भी प्रधान मंत्री को अनिवार्य रूप से रिसीव करना होता है लेकिन यह तीनों ही लोग वहां से सिर्फ नदारद थे, बल्कि या तो फोन नहीं उठा रहे थे और अगर फोन उठा भी रहे थे तो एस पी जी को गलत जानकारी दे रहे थे कि रास्ता खाली पड़ा है और आप जाओ.

इस साज़िश की सारी कहानी मीडिया में हालांकि पहले से ही चुकी है लेकिन कोई भी मीडिया वाला खुलकर वह नहीं बता रहा है जो एकदम शीशे की तरह साफ़ है कि इस सारी साज़िश के पीछे कांग्रेस पार्टी का मोदी को मारने या मरवाने का प्लान था जिसका रिहर्सल यू ट्यूब के वीडियो में एक साल पहले ही किया जा चुका था.

दुर्भाग्य की बात यह है कि अभी तक किसी भी विपक्षी दल ने इस बात की निंदा करके पंजाब की सरकार को बर्खास्त करने या मुख्यमंत्री चन्नी को गिरफ्तार करने की मांग नहीं की है और ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेकर ऐसा कुछ करने का प्रयास किया है. किसी भी अखबार ने अभी तक कोई सम्पादकीय लिखकर तो इस सारी साज़िश के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया है और ही वहां पर राष्ट्रपति शासन लगाकर चन्नी की गिरफ्तारी का सुझाव दिया है. कांग्रेस द्वारा जिस तरह से बार बार लोकतंत्र और मोदी की हत्या का प्रयास पिछले 7 सालों से किया जा रहा है उस पर मीडिया और न्यायपालिका की खामोशी हैरान और परेशान करने वाली है .

 

Sunday, October 4, 2020

हाथरस में कांग्रेस का षड्यंत्र हुआ फेल

 हाथरस में कांग्रेस का षड्यंत्र हुआ फेल

हाथरस में कांग्रेस का षड्यंत्र फेल हो गया है- या यूं कहिये कि योगी सरकार को बदनाम करने का कांग्रेस पार्टी का दांव एकदम उल्टा पड़ गया है और बेशर्मी का प्रीतक बन चुकी कांग्रेस पार्टी अब किसी को भी मुंह दिखाने लायक भी नहीं बची है.

आइये विस्तार से समझते हैं कि हाथरस में कांग्रेस क्या करना चाहती थी और क्या हो गया. हाथरस में एक दलित परिवार की लड़की का किसी लड़के के साथ प्रेम प्रसंग था और लड़की के घर वाले उस प्रेम प्रसंग के सख्त खिलाफ थे. लड़की की माँ और भाई ने मिलकर उस लड़की की हत्या कर डाली जिसे आजकल मीडिया की भाषा में “हॉनर किलिंग” भी कहा जाता है. हत्या के आरोप में माँ-बेटे पकडे न जाएँ इसलिए दोनों ने एक मनगढंत कहानी बनाकर एक सवर्ण युवक पर यह आरोप लगा दिया कि उसने उनकी लड़की की रेप करने के बाद हत्या कर दी. इस खबर के फैलते ही कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के षड्यंत्र में शामिल मीडिया का एक वर्ग तुरंत ही हाथरस पहुंचकर मामले को भड़काने का प्रयास करने लगा और सारे मामले को दलित-ठाकुर जातिवाद का रंग देकर उत्तर प्रदेश में दंगे कराने की साज़िश की जाने लगी. अपनी आदत से मजबूर राहुल और प्रियंका जबरन लड़की के घर वालों से मिलने हाथरस की तरफ निकल पड़े. गाड़ी प्रियंका चला रही थीं और राहुल गाँधी उनके साथ बैठे हुए थे. रास्ते भर यह दोनों बेशर्म कांग्रेसी जबरदस्त हंसी ठिठोली करते हुए तथाकथित पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस जा रहे थे. इनके ठहाकों से यह सफ जाहिर हो रहा था कि इन्हे पीड़ित परिवार या पीडिता से कोई सहानुभूति नही थी, यह इस बात पर ही खुश होकर ठहाके लगा रहे थे कि देश से सबसे सफल मुख्यमंत्री इनके षड्यंत्र का शिकार हो गये.

स्थानीय पुलिस प्रशासन भी इनकी इस साज़िश में शामिल था जिसने बिना किसी प्राथमिक छानबीन के ही रेप और हत्या के आरोप में सवर्ण युवक को गलत तरीके से फंसा दिया. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह खुफिया खबर मिली कि मुख्तार अंसारी-अतीक अंसारी और आज़म खान गैंग ने मीडिया के एक वर्ग को १०० करोड़ रुपये की फंडिंग सिर्फ इसलिए की है कि वह किसी भी तरह उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे भड़का दे तो योगी जी ने हाथरस में तब तक अराजक तत्वों के प्रवेश पर रोक लगा दी जब तक कि लड़की का अंतिम संस्कार न हो जाए. कांग्रेस पार्टी और मीडिया के एक वर्ग की योजना यह थी कि मृत लड़की के शव के साथ जुलूस निकाला जाएगा और प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने की आधारशिला रखी जाएगी लेकिन योगी के आगे इन षड्यंत्रकारियों की एक न चली और जब योगी आदित्यनाथ ने दोषी पुलिस वालों को निलंबित करते हुए इस घटना से सम्बद्ध सभी लोगों का नार्को टेस्ट और सी बी आई जांच के आदेश दिए तो सभी षड्यंत्रकारियों के पैरों के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गयी.

इस षड्यंत्र में अब जरा दुबारा से समझते हैं कि कौन कौन शामिल है- उत्तर प्रदेश की राजनीति से मुख़्तार अंसारी-अतीक अंसारी और आजम खान का क्या नाता है, यह सभी को मालूम है. राहुल और प्रियंका समेत इन सभी की राजनीतिक जमीन योगी आदित्यनाथ के सक्षम प्रशासन ने बुरी तरह हिला दी है. इन लोगों ने उत्तर प्रदेश में दंगा कराने की सुपारी मीडिया के एक वर्ग के हाथ में दे दी -अब मीडिया का यह वर्ग आगे-आगे और राहुल-प्रियंका पीछे पीछे. लेकिन यह लोग योगी आदित्यनाथ जैसे कुशल प्रशासक के आगे अपने षड्यंत्र में सफल नहीं हो सके और इनकी पोल बहुत पहले ही खुल गयी. फोरेंसिक रिपोर्ट में भी यह साबित हो चुका है कि लड़की के साथ रेप नहीं हुआ है, सिर्फ उसकी हत्या की गयी है. जिस सवर्ण युवक को लड़की के रेप और हत्या में झूठा फंसाया गया है, वह वारदात के समय एक दूध की डेरी में अपना काम कर रहा था और डेरी के मालिक समेत वहां काम करने वाले लगभग २५ अन्य कर्मचारियों ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है लेकिन मीडिया का जो एक वर्ग वहां एक पूर्व नियोजित एजेंडे के साथ गया था, उसने वहां के लोगों की सुनने के बजाये उस स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू कर दिया जो उन्हें कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों ने लिखकर दी थी. अब सी बी आई जांच और नार्को टेस्ट से यही लोग इस कदर घबराये हुए हैं कि एक कांग्रेसी साकेत गोखले तो बाकायदा इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह याचिका लेकर पहुँच गया है कि योगी सरकार को सी बी आई जांच और नार्को टेस्ट कराने से रोका जाए.

ज़ाहिर सी बात है कि अपनी आदत के मुताबिक कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल मीडिया के एक वर्ग के कंधे पर रखकर बन्दूक योगी सरकार पर चलाना चाहते थे लेकिन उस बन्दूक का रुख सी बी आई जांच और नार्को टेस्ट के आदेश के बाद खुद इन लोगों की तरफ हो गया है.



Tuesday, August 6, 2019

कांग्रेस अपने महाविनाश की ओर इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ रही है ?

370 और 35A जैसी संविधान की अस्थायी धाराओं को मोदी सरकार ने एक ही झटके में समाप्त कर दिया है। जो काम पिछले 70 सालों में कोई भी सरकार नहीं कर सकी और जिसे बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था, आखिर उस काम को मोदी सरकार ने बिना किसी अड़चन के अंजाम देकर एक ऐतिहासिक काम किया है। इस काम को अंजाम देने की योजना 2015 से चल रही थी और इसे लागू करने में जिस तरह की गोपनीयता रखी गयी, वह काबिले तारीफ़ है।
पूरा देश इन असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण धाराओं के हटाए जाने से बेहद खुश है और जश्न में डूबा हुआ है लेकिन कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी पार्टियों को देश-हित में लिया गया मोदी सरकार का यह फैसला भी रास नहीं आ रहा है और वे सब उसका जोर-शोर से विरोध कर रही हैं. जिन पार्टियों ने जम्मू कश्मीर के सन्दर्भ में लिए गए इस क्रांतिकारी और ऐतिहासिक फैसले का विरोध किया है, उनमे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डी एम के , एम डी एम के , सी पी एम, आर जे डी, जनता दल-यूनाइटेड,पी डी पी और नेशनल कांफ्रेंस शामिल हैं कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रीय पार्टियां हैं. कांग्रेस इकलौती पार्टी है जिसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कहा जा सकता था, लेकिन देश हित में लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले के खुलकर विरोध में आने के बाद कांग्रेस अपने वजूद को कब तक बचा पाएगी, यह कहना मुश्किल है.
नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के पास यह बहुत बड़ा सुनहरा अवसर था, जब वह इसका समर्थन करके अपने ऊपर “देशद्रोही पार्टी” लगे होने का ठप्पा हमेशा के लिए मिटा सकती थी लेकिन कांग्रेस एक बार फिर से चूक गयी है। इस बार कांग्रेस ने वह गलती कर दी है, जिसे कांग्रेस पार्टी चाहे भी तो आने वाले कई दशकों तक नहीं सुधार पाएगी। कांग्रेस और उसकी पार्टी के समर्थक अक्सर यह सवाल करते हैं कि उनकी पार्टी को वेवजह ही देशद्रोही कहा जा रहा है. आज कांग्रेस पार्टी के उन सभी समर्थकों को प्रत्यक्ष प्रमाण मिल गया होगा कि देश की अधिकांश जनता कांग्रेस को देशद्रोही क्यों मानती है।
मजे की बात यह है कि गृह मंत्री अमित शाह जब संसद में कांग्रेसी गुलाम नबी आज़ाद से यह विनती कर रहे थे कि अगर उन्हें इन धाराओं को हटाने में कुछ गलत लग रहा है, तो कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल उस पर वेवजह हंगामा करने की बजाए उस पर स्वस्थ चर्चा करें लेकिन अमित शाह की इस बात को दरकिनार करते हुए विपक्षी सांसद संसद के अंदर ही “संविधान” की प्रतियों को फाड़ने लगे और खुल्लमखुल्ला देशद्रोह पर उतर आए।
संसद की कार्यवाही का आजकल सीधा प्रसारण होता है और उसे पूरे देश की जनता देख रही होती है. सोशल मीडिया भी पिछले कई सालों में काफी ताकतवर साधन बन चुका है और देश की जनता क्या सही है और क्या गलत है, सब समझती है।
मेरे अपने विचार में इन दोनों धाराओं से सिर्फ तीन लोगों को फायदा था। जिन तीन लोगों को इन दोनों धाराओं से फायदा मिल रहा था, उनमे दो तो अपने ही देश में हैं- यानि अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा की पीडीपी तीसरा व्यक्ति जिसे इन दोनों धाराओं का सबसे ज्यादा फायदा मिल रहा था, वह है दुश्मन देश पाकिस्तान क्योंकि जम्मू-कश्मीर को मिले इस विशेष दर्ज़े की वजह से ही वह उसे “कश्मीर समस्या” का नाम देने में सफल हो रहा था। इन दोनों धाराओं के विरोध करने में कांग्रेस का अपना कोई हित नहीं था लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस पार्टी क्यों कर रही है, इसका जबाब कांग्रेस के सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को खोजना चाहिए।
जिस तरह से कांग्रेस पार्टी अपने असितत्व के संकट से जूझ रही है, उसके पास अपने असितत्व को बचाने के मौके वैसे भी बड़ी मुश्किल से आते हैं। काफी समय बाद एक सुनहरा मौका कांग्रेस के पास खुद चलकर आया था, जब कांग्रेस अपने वजूद को बचाकर खुद को दुबारा से खड़ा करने की दिशा में चल सकती थी लेकिन जो कहावत है कि -“विनाश काले विपरीत बुद्धि” उसे चरितार्थ करते हुए कांग्रेस ने अपने महाविनाश की कहानी का अंतिम अध्याय खुद ब खुद लिख दिया है।

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