Friday, November 10, 2017

गुजरात और हिमाचल में भाजपा की बम्पर जीत लगभग तय

गुजरात और हिमाचल में इसी साल विधान सभा चुनाव होने हैं. दोनों ही जगह मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. अपने राजनीतिक वजूद की आखिरी लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी इन दोनों ही चुनावों में अपनी पूरी “ताकत” झोंकने का प्रयास कर रही है. क्योंकि कांग्रेस इन चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, इसलिए यह समझना ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आखिर कांग्रेस पार्टी की असली ताकत क्या है, जिसके बल बूते पर इस पार्टी ने इस देश को लगभग ६० सालों तक निर्ममता से लूटा है. दरअसल कांग्रेस पार्टी की असली ताकत है -दुष्प्रचार. अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मनगढंत दुष्प्रचार करके सत्ता हथियाने में इस पार्टी को महारथ हासिल रही है.
लेकिन पिछले कुछ सालों में लोगों में बढ़ती जागरूकता और सोशल मीडिया के विस्तार के चलते कांग्रेस पार्टी  का यह दुष्प्रचार रूपी ब्रह्मास्त्र अब पूरी तरह बेकार हो गया है. अख़लाक़ और रोहित वेमुला जैसे फ़र्ज़ी मसलों पर कांग्रेस पार्टी और इसके चाटुकारों ने जमकर भाजपा पर हमला बोला. अपने “अवार्ड वापसी गैंग” से अवार्ड भी वापस करवाए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. नतीजा नहीं निकला लेकिन कांग्रेस पार्टी ने  हार नहीं मानी. जब नोट बंदी का ऐतिहासिक फैसला लिया गया और इन लोगों का सारा काला धन डूब गया तो इन्होने उस फैसले को जन विरोधी बताकर एक बार फिर से दुष्प्रचार शुरू कर दिया. इनके रहमोकरम पर पलने वाले कुछ चाटुकारों और स्व-घोषित अर्थशास्त्रियों ने भी नोटबंदी के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया. इसका जबाब भी देश की जनता ने उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों के मार्फ़त दे दिया. अब इन्हे भी लगने लगा है कि दुष्प्रचार रूपी हथियार काम नहीं कर रहा है लेकिन इनके पास कोई और हथियार नहीं है और कोई और विकल्प न होने की वजह से यह लोग उसी बेजान हथियार का एक बार फिर से इस्तेमाल करना चाहते हैं. इस बार इनके दुष्प्रचार का शिकार जी एस टी है, जिसे देश की जनता देश की आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार बता रही है, उसी कर सुधार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी दुष्प्रचार करके हिमाचल और गुजरात में अपनी नैया पार लगाना चाहती है.
कांग्रेस पार्टी की जो कमियां हैं, वे सब जग जाहिर है और उन पर जितना भी लिखा जाए कम ही होगा. अब इस बात पर आते है कि भाजपा इन दोनों राज्यों में किस तरह से बम्पर जीत हासिल करने जा रही है.
१. भाजपा के पक्ष में जो सबसे बड़ी बात कही जा सकती है (जिसका उसे पिछले चुनावों में भी फायदा मिला है और इन चुनावों में भी मिलेगा), वह यही है कि पार्टी अपने विकास के रास्ते पर मजबूती से चल रही है और सभी तरह के दुष्प्रचार के बाबजूद देशहित में लिए गए अपने कड़े फैसलों पर आज तक कायम है.
२. कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी  जिस तरह से अपनी पार्टी के लिए प्रचार करते हैं, उसका फायदा कांग्रेस पार्टी को कितना होता है, यह तो उसके अन्य नेता ही बता सकते हैं. लेकिन राहुल गाँधी जी के भाषणों और उनके चुनाव प्रचार का भाजपा  के शीर्ष नेता भी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्योंकि भाजपा की आधी जीत अगर अपने “विकास” के अजेंडे से तय होती है तो बाकी की आधी जीत का श्रेय राहुल गाँधी जी की अनूठी प्रचार शैली को दिया जाना चाहिए. राहुल गाँधी बार बार अपनी चुनाव रैलियों और भाषणों में कहते हैं कि हमारी पार्टी की लड़ाई भाजपा और आर एस एस  की विचारधारा से है और हम उससे बिना कोई समझौता किये लड़ते रहेंगे. भाजपा भी तो यही चाहती है कि राहुल गाँधी जी इस तरह की बातें बोलें. जब वह इस तरह के बयां देते हैं तो लोग यह समझ जाते हैं कि पिछले ६० सालों से वे लोग क्या गलती दोहराते आ रहे थे और लोग यह भी कसम खाते हैं कि अब वह गलती दुबारा नहीं दुहराई जाएगी. जब राहुल गाँधी यह बताते हैं कि उनकी लड़ाई भाजपा और संघ की विचारधारा से है तो अनायास ही लोगों का धयान कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पर चला जाता है. राजनीति में पार्टियां और व्यक्ति नहीं जीतते है, सिर्फ विचारधाराएं ही जीता करती है. कांग्रेस पार्टी जिस विचारधारा की पक्षधर है, उसे इस देश की सवा सौ करोड़ जनता एकमत से कई बार नकार चुकी है, इस बात को समझने के लिए न तो राहुल गाँधी  तैयार हैं और न ही उनकी पार्टी का अन्य कोई नेता. जब कभी भी कांग्रेस पार्टी के महाविनाश का इतिहास लिखा जाएगा, राहुल गाँधी जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं  है.
३. भाजपा को जिताने के लिए हालांकि ऊपर लिखे दो ही कारण पर्याप्त हैं लेकिन भाजपा के विरोधी अपनी बौखलाहट और छटपटाहट में कुछ ऐसे भी काम कर जाते हैं जिससे भाजपा को बोनस मिल जाता है और उसकी जीत “बम्पर” जीत में तब्दील हो जाती है. ऐसे मसले  लाखों की संख्या में है. लेकिन उनमे से कुछ मसलों का जिक्र करने भर से ही इस पार्टी के चाल, चरित्र और चेहरे की पहचान हो जाती है. जहां सारी दुनिया “इस्लामिक आतंकवाद” से बुरी तरह परेशान है, वहीं अपनी कांग्रेस पार्टी ने “हिन्दू आतंकवाद” नाम का एक शब्द अपने कांग्रेसी शब्दकोष में जोड़ा है और कई बेगुनाहों को “हिन्दू आतंकवादी” घोषित करके जेलों में डालने का काम अपने शासनकाल में किया है. कांग्रेस पार्टी के कई शीर्ष नेता पाकिस्तान में जाकर पाकिस्तान सरकार के आगे गिड़गिड़ाते हैं कि मोदी को हारने में हमारी मदद करो. देश की जनता को कांग्रेस पार्टी ने अगर आज भी बेबकूफ समझ रखा है तो जनता यह जबाब देने में भी सक्षम है कि दरअसल बेबकूफ कौन है?

Wednesday, October 11, 2017

पटाखे सिर्फ दिवाली पर ही प्रदूषण क्यों फैलाते हैं ?

"दिव्य देश" के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपना एक "ऐतिहासिक" फैसला सुनाते हुए "सिर्फ" दीपावली के अवसर पर पटाखे जलाने पर रोक लगा दी है. पटाखों पर लगी यह रोक सिर्फ नवम्बर तक के लिए ही है. इस तारीख के बाद पटाखे बेचे भी जा सकते हैं और जलाये भी जा सकते हैं. एक खोजी टी वी चैनल को यह बात कुछ हज़म नहीं हुयी सो उसने अपने एक होनहार रिपोर्टर को देश के पर्यावरण  मंत्री के पास  इंटरव्यू  लेने के लिए भेज दिया.

टी वी रिपोर्टर ने पर्यावरण मंत्री से मिलने का समय माँगा. मंत्री जी तो साक्षात्कार देने के लिए खुद ही उतावले हुए जा रहे थे. लिहाज़ा  तय समय पर रिपोर्टर मंत्री जी के निवास पर पहुँच गया.

बिना किसी औपचारिकता के रिपोर्टर ने मंत्री जी से अपना पहला सवाल दागा -" सर, अपने "दिव्य देश" में  पर्यावरण को लेकर लोग काफी जागरूक हो रहे हैं. अभी हाल ही में अपने सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले की गंभीरता समझते हुए दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाने पर रोक लगा दी हैअदालत के इस "ऐतिहासिक" फैसले पर आपका क्या कहना है ? "

मंत्री जी ने अपने गुस्से को किसी तरह दबाते हुए  जबाब दिया -" हमें क्या कहना है ? अरे हमारी सुन कौन रहा है ? पर्यावरण की चिंता हमसे ज्यादा अदालतों को हो रही है. अब इस देश को सरकारें और उनके मंत्री नहीं, अदालतें ही चला लेंगी. देखते हैं, यह सब कब तक चलता है."

रिपोर्टर : लेकिन मंत्री महोदय, जिस तरह से देश प्रदूषण की समस्या की चपेट में  चुका है, उसे देखते हुए अगर सरकार कोई कदम नहीं उठाएगी तो अदालतों को तो दखल देना ही पड़ेगा ना ? उस पर आप इतना आग बबूला क्यों हुए जा रहे हैं ?

मंत्री जी : पत्रकार महोदय, सिर्फ दीवाली के मौके पर पटाखों की बिक्री और जलाने पर रोक लगाने से इस देश से प्रदूषण की समस्या का समाधान हो जाता तो सरकार यह कदम कब का उठा चुकी होती और इस देश से प्रदूषण भी कब का खत्म हो गया होता.

रिपोर्टर : चलिए , अदालत ने तो सही गलत जो कुछ करना था सो कर दिया, अब आपकी सरकार और खुद आप इस मामले में क्या कार्यवाही करेंगे ?

मंत्री जी : हमारी कैबिनेट कमेटी की मीटिंग आज रात ही होने वाली है. उस मीटिंग में हम सबसे पहले तो इस रहस्य्मय गुत्थी को सुलझाने का प्रयास करेंगे कि आखिर यह पटाखे सिर्फ दीपावली जैसे त्योहारों पर ही प्रदूषण क्यों फैलाते हैंक्रिसमस या अंग्रेजी नए साल के मौके पर जो पटाखे बेचे जाते हैं और जलाये जाते हैं, अगर वे पटाखे किसी और तकनीक से बनाये जाते हैं तो बेहतर यही होगा कि उसी तकनीक से बनाये गए पटाखे दिवाली पर भी इस्तेमाल कर लिए जाएँ.

इस बार रिपोर्टर चकरा गया. मंत्री जी ने भी पहली बार एक समझदारी भरी बात कर डाली थी . खैर अपने को सँभालते हुए रिपोर्टर ने फिर सवाल कर दिया -" मंत्री महोदय आप यह कह रहे हैं कि दिवाली के अलावा अन्य सभी अवसरों और त्योहारों पर बेचे जाने वाले और जलाये जाने वाले पटाखों से प्रदूषण नहीं फैलता है- यह अनोखी बात आपको किसने बताई ?

मंत्री जी : बुरा मत मानना, आप पत्रकार हो या घसियारे हो ? अदालत के फैसले से तुम्हे यह बात समझ में नहीं आयी क्या ? अदालती फैसले के हिसाब से पटाखों की बिक्री और जलाये जाने पर सिर्फ नवम्बर तक की ही रोक है. कोई भी समझदार आदमी इसका जो मतलब निकलेगा, वही आप भी निकाल लो और अपने चैनल की टी आर पी बढ़ाने पर ध्यान दो.

रिपोर्टर अब मंत्री जी के बढ़ते गुस्से को भांप गया था और उसने अपना बोरिया बिस्तर वहां से समेटने में ही अपनी भलाई समझी. मंत्री जी को समय देने के लिए शुक्रिया करता हुआ वह फटाफट वहां से खिसक लिया

( इस व्यंग्य रचना के सभी पात्र एवं घटनाएं  काल्पनिक हैं )



Monday, July 10, 2017

मोदी को हराने में हमारी मदद करो

कुछेक साल पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे और अपनी यात्रा के दौरान वे दोनों पकिस्तान सरकार से यह गिड़गिड़ा रहे थे कि मोदी को हराने में पाकिस्तान उनकी पार्टी की मदद करे. भारत के किसी भी राज्य में चुनाव हो रहे हों, उस समय पकिस्तान किस तरह से सीमा पर सीज़फायर का उल्लंघन करके भारत  सरकार को परेशान करने की नाकाम कोशिश  करता है , वह एक तरह से कांग्रेस पार्टी की मदद ही समझी जानी चाहिए. दरअसल अपने इन्ही दुष्कर्मों के चलते कांग्रेस पार्टी  राजनीति में एकदम हाशिये पर आ चुकी है लेकिन कांग्रेस पार्टी और उसके नेता इस संकट से उबरने की बजाये और नए दुष्कर्म करके राजनीतिक दलदल में फंसते जा रहे हैं.

कांग्रेस पार्टी और उसके नेता शायद यह समझते हैं कि वे किसी भी दुशमन देश की सरकार से मोदी को हराने के लिए मदद मांगेंगे तो देश की जनता बहुत खुश होगी और उन्हें वोटों से मालामाल कर देगी लेकिन अब देश की जनता पहले से बहुत ज्यादा समझदार हो चुकी है और कांग्रेस पार्टी  और उसके नेताओं की इन देशद्रोही हरकतों का गंभीरता से संज्ञान लेकर इस पार्टी को समुचित दंड देती रहती है. आज अगर भाजपा की केंद्र के अलावा ज्यादातर राज्यों में सरकारें बनी हुयी हैं, उसका मुख्य कारण यह भी है कि लोग देशद्रोह की राजनीति से अब ऊब चुके हैं और कांग्रेस पार्टी के साथ दुर्भाग्यवश ऐसी स्थिति बनी हुयी है कि उसे किसी और तरीके की राजनीति करना आता ही नहीं है. जनता के सामने और कोई राष्ट्रवादी विकल्प न होने की वजह से भाजपा को ही अधिकांश देशभक्त जनता का वोट जाना लगभग तय माना जाता है और उसी के चलते भाजपा की सरकारें लगभग सभी राज्यों में बनती जा रही हैं.
अब खबर यह आ रही है कि कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी की चीनी राजदूत से गुपचुप मुलाक़ात की खबर पहले तो चीनी दूतावास  की वेबसाइट पर पोस्ट की गयी और फिर उसे आनन फानन में हटा भी लिया गया. राहुल गाँधी के चीनी राजदूत से मिलने में किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए लेकिन जिस तरह से राहुल गाँधी की चीनी राजदूत से मिलने की खबर पर संशय बना हुआ है और उसे शायद छिपाने का प्रयास भी किया जा रहा है, उससे देश की सवा सौ करोड़ जनता के मन में यह सवाल खड़ा हो गया है कि कहीं राहुल गाँधी भी तो सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर के क़दमों पर तो नहीं चल रहे हैं ? दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने इस विवादित मुलाक़ात पर सफाई देने की बजाये इस मुलाक़ात को ही सिरे से नकार दिया है. कांग्रेस पार्टी इस मुलाक़ात को छिपाने का जितना ज्यादा प्रयास कर रही है, उतने ही अधिक सवाल इस पार्टी और नेताओं पर उठ रहे हैं, जिनका आज नहीं तो कल जबाब तो देना ही पड़ेगा. जबाब कांग्रेस पार्टी की तरफ से नहीं आया तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में जनता ही इस पार्टी को अपना जबाब दे देगी. इस लेख के लिखते लिखते खबर यह भी आ रही है कि कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त यू-टर्न लेते हुए इस चोरी छिपे की गयी मुलाक़ात को कबूल कर लिया है लेकिन मुलाक़ात क्यों हुयी और किस उद्देश्य के लिए की गयी, उस पर अभी भी चुप्पी लगाई हुयी है.

Tuesday, July 4, 2017

ICAI फाउंडेशन डे पर मोदी जी का भाषण और मीडिया की गलत बयानी

हर साल १ जुलाई को इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICAI) का स्थापना दिवस मनाया जाता है. १९४९ में इसी दिन ICAI की स्थापना हुई थी. यह फॉउंडेशन डे हर साल मनाया जाता है और सरकार के कोई न कोई वरिष्ठ मंत्री इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर आते रहे हैं. इस बार पी एम् मोदी खुद इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे, जिसके चलते इस कार्यक्रम में न सिर्फ मोदी जी खुद शरीक हुए, बल्कि वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत मोदी सरकार के लगभग दर्ज़न भर मंत्री, कई राज्यों के मुख्य मंत्री और वित्त मंत्रालय के कई बड़े अधिकारी भी मौजूद थे. इत्तेफ़ाक़ से १ जुलाई के दिन ही GST लागू होने की वजह से मोदी सरकार ने इस मौके का पूरा फायदा उठाने की कोशिश भी की. अपने एक घंटे के भाषण में पी एम मोदी ने क्या कहा, वह अलग से बहस का मुद्दा हो सकता है और उस पर टिप्पणी करना इस लेख का उद्देश्य नहीं है.
मेन स्ट्रीम मीडिया की घटती विश्वसनीयता पर मैंने पहले भी कई बार सवाल उठाये हैं. इस कार्यक्रम की रिपोर्टिंग को लेकर एक बार फिर मीडिया की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गयी है. दरअसल इस कार्यक्रम में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और स्टूडेंट्स को निमंत्रण पत्र भेजकर बुलाया गया था. इंदिरा गाँधी स्टेडियम में जितनी सीटें थीं, उतने ही निमंत्रण पत्र भेजे गए थे. स्टेडियम में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का प्रवेश गेट नंबर ४ से होना था और स्टूडेंट्स का प्रवेश गेट नंबर ७ और ८ से होना था. कार्यक्रम का आयोजन ICAI की सेन्ट्रल कौंसिल ने किया था. सभी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और स्टूडेंट्स को यह सलाह भी दी गयी थी कि वे लोग स्टेडियम में अपनी अपनी सीटें दोपहर ३ बजे तक जरूर ग्रहण कर लें. जब तय कार्यक्रम के मुताबिक़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और स्टूडेंट्स अपने हाथ में निमंत्रण पत्र लेकर स्टेडियम पहुंचे तो आयोजकों ने स्टूडेंट्स के लिए तो गेट नंबर ७ और ८ से प्रवेश करने दिया लेकिन किसी भी चार्टर्ड अकाउंटेंट को स्टेडियम के अंदर ही नहीं जाने दिया. चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ३ बजे से लेकर ५ बजे तक गेट नंबर ४ पर लाइन लगाकर गेट खुलने का इंतज़ार करते रहे लेकिन जब आखिर तक गेट नहीं खुला तो कुछ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने वहां पर शोर शराबा भी किया और गेट पर लगे बैनर को भी फाड़ डाला. कुछ नए और अति उत्साही चार्टर्ड अकाउंटेंट गेट के ऊपर से कूदकर स्टेडियम में चले गए जिसका अंदर पुलिस और सिक्योरिटी ने विरोध भी किया और इसके चलते झगडे – फसाद जैसा माहौल बन गया. यह सब ६८ साल के इतिहास में पहली बार हो रहा था. मैं खुद एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हूँ और वहां गेट संख्या ४ पर खड़ा कार्यक्रम के आयोजकों की इस “सोची समझी बदइंतज़ामी” को देखकर स्तब्ध था. आखिर में हुआ यही कि ICAI फॉउंडेशन डे बिना किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट के ही पी एम् मोदी, उनके मंत्रियों और अफसरों की मौजूदगी में मना लिया गया. गेट नंबर ४ पर अपने हाथों में निमंत्रण पत्र लिए खड़े लगभग ३००० चार्टर्ड एकाउंटेंट्स कार्यक्रम में शिरकत किये बिना ही अपने अपने घर वापस लौट आये. स्टेडियम के अंदर सिर्फ वे ही चार्टर्ड अकाउंटेंट “पिछले दरवाज़े” से पहुंचने में कामयाब हुए थे, जो कि ICAI सेंट्रल कौंसिल मेंबर्स के दोस्त, रिश्तेदार या जान पहचान वाले रहे होंगे. सेंट्रल कौंसिल के सदस्य खुद भी चार्टर्ड अकाउंटेंट होते हैं.
यहां जो कुछ भी मैंने लिखा है, मीडिया में वह सब कुछ तो नहीं बताया गया लेकिन इसी घटना की एक मनगढंत कहानी बनाकर उसे खबर के तौर पर पेश कर दिया गया. ख़बरों में यह बताया गया कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स GST के खिलाफ थे, उसका विरोध कर रहे थे, उसी विरोध के चलते उन्होंने शोर शराबा और झगड़ा फसाद किया और गेट नंबर ४ पर लगे बैनर को भी फाड़ डाला. देश में कोई भी टेक्स लगे, उससे तो चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को फायदा ही होता है क्योंकि उनसे ज्यादा लोग सलाह लेने आते हैं, फिर वे लोग उसका विरोध क्यों करेंगे? इस बात को सरकार भी मानती है कि कोई भी कर प्रणाली चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सहयोग के बिना सफल नहीं हो सकती है. इस मनगढंत खबर को मेन स्ट्रीम मीडिया किसके इशारे पर दिखा रहा था, यह एक बड़ा सवाल है.
इस घटना और कार्यक्रम मैं खुद एक प्रत्यक्षदर्शी के तौर पर मौजूद था, मुझे मीडिया में आयी इस गलत खबर पर हैरानी भी हुई और साथ ही साथ यह भी लगा कि मीडिया की विश्वसनीयता देश में पूरी तरह सवालों के घेरे में आ चुकी है जिसे अगर जल्द ही नही सुधारा गया तो उसका सबसे ज्यादा नुक्सान मेन स्ट्रीम मीडिया को ही होने वाला है. क्योंकि इसी गलत खबर को कई अलग अलग मीडिया वालों ने छापा और दिखाया, उससे यह भी बात साबित होती है कि यह गलत बयानी मीडिया ने किसी न किसी के इशारे पर ही की होगी.

Featured Post

कॉलेज प्रिंसिपल की अय्याशी की कहानियाँ

मिदनापुर जिले में अब तक लड़कियों के लिए कोई कालेज नही था और उन्हें पढ़ाई के लिए या तो दूसरे जिले में जाकर पढ़ना पड़ता था या फिर 12 वीं पास करके ...