Monday, April 16, 2018

मीडिया की "मिलीभगत" से हो रही है "रेप" पर राजनीति

मीडिया की "मिलीभगत" से हो रही है "रेप" पर राजनीति

कठुआ में एक बालिका की कुछ रोहिंग्या आतंकवादियों ने हत्या कर दी और उसकी लाश को एक मंदिर में रख दिया. बालिका का नाम आसिफा था और वह मुस्लिम समुदाय से थी. इस वारदात को हमारा मीडिया और टी वी चैनल कुछ अलग ढंग से ही पेश कर रहे हैं. मीडिया की माने तो इस बालिका का रेप इस मंदिर में किसी हिन्दू ने किया था. इस सफ़ेद झूठ को टी वी चैनल और मीडिया २४ घंटे इसलिए दिखा रहे हैं ताकि वह कहावत सही साबित हो जाए कि अगर एक झूठ को भी सौ बार दोहराया जाए तो वह सच लगने लगता है. कर्नाटक में १२ मई को चुनाव होने हैं और उसीके मद्देनज़र इस तरह से झूठ को फैलाया जा रहा है जिस तरह से हर चुनाव से पहले "अवार्ड वापसी गैंग" कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की मदद करने के लिए झूठ के सहारे दुष्प्रचार करना शुरू कर देता है. इस बार इस झूठ और दुष्प्रचार में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया ने भी अपनी निर्णायक भूमिका अदा की है. रोहिंग्या आतंकवादियों द्वारा एक बालिका की निर्मम हत्या और उसकी लाश को एक मंदिर में रखकर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की नापाक साज़िश में इस बार मीडिया भी शामिल हो गया है. आतंकवादियों के गुनाहों पर पर्दा डालकर हिन्दुओं को बदनाम करने की कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की बहुत पुरानी आदत रही है. जिस तरह से आसिफा के तथाकथित "रेप" की झूठी खबर मीडिया में और टी वी चैनलों में कांग्रेस पार्टी और इसके सहयोगी दलों के इशारे पर फैलाई जा रही हैं, उससे यही साबित होता है कि यहां पर मंशा एक तीर से दो शिकार करने की है. पहले तो इस झूठ के सहारे रोहिंग्या आतंकवादियों के काले कारनामों पर पर्दा पड़ गया. दूसरें उस बालिका की लाश को हिन्दू मंदिर में रखकर यह बताने की भी कोशिश की गयी कि किसी हिन्दू ने उस बालिका से साथ पहले तो मंदिर में रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी. फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी इस झूठ को सच बताते हुए कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की ताल में ताल ठोंकने लगे. इन लोगों कि नौटंकी कुछ इस हद तक बढ़ गयी मनो इस देश में कोई "रेप" पहली बार हुआ है. केरल और पश्चिम बंगाल में सैंकड़ों हिन्दू बालिकाओं के साथ जब रेप होता है, तब इन सभी फ़िल्मी नौटंकीबाजों, मीडिया वालों और कांग्रेस और उनके सहयोगियों के मुंह पर ताले लग जाते हैं. पहले तो यहां "रेप" जैसी कोई घटना नहीं हुयी, लेकिन अगर देश में कहीं भी "रेप" जैसी वारदात होती है तो उस पर राजनीति क्यों होनी चाहिए ? रोहिंग्या आतंकवादियों के अपराध पर पर्दा डालने के लिए और हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए "आसिफा का रेप" जैसी मनगढंत कहानी बनाने वाले कांग्रेसी, मीडिया वाले और फ़िल्मी जगत के नौटंकी बाज़ , रेप की असली घटनाओं पर अक्सर चुप्पी क्यों साध लेते हैं ?

"रेप" एक जघन्य अपराध है और इसमें बिना किसी जाति-पाति या धर्म देखे बिना दोषियों को कठोर सजा देनी चाहिए. लेकिन मीडिया और फिल्म जगत के नौटंकी बाज़ इन घटनाओं में भी गंभीरता से चिंतन करने की बजाय उस पर भी कांग्रेसी पार्टी के हाथों बिकते नज़र आते हैं. उत्तर प्रदेश में उन्नाव के भाजपा विधायक सेंगर के तथाकथित "रेप" पर शोर शराबा करने वाले लोग भोपाल के कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे के अपराध पर चुप्पी साध लेते हैं जो "रेप" के एक मामले में एक महीने से फरार चल रहा है. मसलन कुल मिलाकर रेप की उन्ही घटनाओं का पर्दाफाश मीडिया और फ़िल्मी जगत के नौटंकी बाज़ों द्वारा किया जाएगा जिसमे दोषी या तो कोई हिन्दू होगा या फिर उसका भाजपा से कोई ताल्लुक होगा. पिछले ७० सालों में मीडिया की इतनी किरकिरी पहले कभी नहीं हुई है जितनी इस बार "आसिफा के रेप" की काल्पनिक कहानी को खबर बनाकर परोसने वाले चैनलों ने खुद अपने आप कर ली है. इस "रेप" की झूठी वारदात के लिए कुछ कांग्रेसी नौटंकी बाज़ों ने कैंडल मार्च भी निकाला लेकिन कैंडल मार्च निकालने वाले नेता खुद यह भूल गए कि इस "फ़र्ज़ी रेप " जिसके लिए वे कैंडल मार्च निकाल रहे हैं, जब "रेप" की सैंकड़ों वारदातें असल में घटित हुई थीं और ज्यादातर रेप की वारदातें गैर भाजपा शासित राज्यों में घटित हुई थीं, तब इन लोगों ने कैंडल मार्च क्यों नहीं निकाला था ? 
इस सारे घटनाक्रम से जो एक और बात साबित होती है वह यह कि चाहे कांग्रेस और उसके सहयोगी राजनीतिक दल हों या फिर उनके हाथों बिक चुके मीडिया और फ़िल्मी नौटंकीबाज़ हों, यह सभी कहीं न कहीं, रोहिंग्या आतंकवादियों को बचाने में लगे हुए हैं और सरकार को इस बात की गहन जांच करनी चाहिए कि आखिर यह सब मिलकर इन रोहिंग्या आतंकवादियों को किसके इशारे पर बचा रहे हैं ?

Wednesday, March 28, 2018

“पाकिस्तान जिंदाबाद” से “पाकिस्तान नंगाबाद ” तक का सफर

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की  अमेरिका के हवाई अड्डे पर सारे कपडे उतारकर तलाशी ली गयी है. इस खबर की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो चुकी हैं. देखा जाए तो यह कपडे सिर्फ पाकिस्तानी पी एम के ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के उतारे गए हैं और अमेरिका ने एक बार पूरी दुनिया को “आतंकवाद का मजहब” बताते हुए पाकिस्तान को सभी के सामने निर्वस्त्र  कर दिया है.

भारतीय मीडिया और टी वी चैनलों के साथ साथ खुद पाकिस्तानी मीडिया और टी वी चेनल इस खबर को काफी रोचकता के साथ पेश कर रहे हैं. दरअसल  यह मामला इतना सीधा नहीं है, जितना लग रहा है. कपडे सिर्फ पाकिस्तानी पी एम या पाकिस्तान के ही नहीं उतरे हैं. हमारे अपने ही देश में ऐसे हज़ारों लोग हैं तो खाते तो हिन्दुस्तान का हैं लेकिन गाते पाकिस्तान का हैं. उन सब के भी यकायक सभी कपडे उतर गए हैं. आइये देखते हैं, ऐसे कौन कौन से लोग हैं, जिनके कपडे इस घटना के बाद से उतर गए हैं :

१. वे सभी लोग जो भाजपा की हार पर “पाकिस्तान जिंदाबाद-भारत तेरे टुकड़े होंगे” के नारे लगाते हैं, उनके सभी कपडे इस घटना के बाद से उतर गए हैं.

२. वे सभी लोग जो जे एन यू जैसे तथाकथित शिक्षा संस्थानों में “पाकिस्तान जिंदाबाद” और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” के नारे लगाते हैं, वे सब तो निर्वस्त्र हो ही गए हैं, उनके साथ उन तथाकथित नेताओं के भी कपडे उतर गए हैं, जो इन देशद्रोहियों का समर्थन करने के लिए जे एन यू में जाकर भाषणबाज़ी करते हैं.

३. कपडे तो कांग्रेस पार्टी के उन नेताओं के भी उतर गए हैं तो पाकिस्तान जाकर वहां की सरकार से “मोदी को हटाने” की मांग करते आये हैं. सवाल यह है कि जो देश अपने प्रधान मंत्री के कपडे उतरने से भी नहीं बचा सकता, वह मोदी का भला क्या बिगाड़ लेगा ?

४. कपडे तो उन “अवार्ड वापसी गैंग” के सभी सदस्यों के भी उतर गए हैं जो पाकिस्तानी आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के विरोध में अपने “अवार्ड” वापस कर चुके हैं.

५. याकूब मेमन को फांसी पर चढ़ने से रोकने के लिए जिन लोगों ने राष्ट्रपति महोदय से माफी की गुहार लगाई थी और उनमे से कुछ लोग तो रात के दो बजे सुप्रीम कोर्ट तक उसकी फांसी की सज़ा को रुकवाने के लिए पहुँच गए थे. जाहिर है कि इन सभी पाकिस्तान प्रेमियों के भी कपडे पूरी तरह उतर गए हैं.

६. भारत में बैठे जिन पाक-प्रेमियों के कपडे इस घटना के बाद से यकायक उतर गए हैं, वे सभी मिलकर मोदी को २०१९ के चुनावों में टक्कर देने के लिए एक “महाठगबंधन” बनाने जा रहे हैं. अब इस तरह का “ठगबंधन” मोदी के लिए कितनी बड़ी चुनौती खड़ी कर पायेगा, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल काम नहीं है.

Thursday, March 22, 2018

मोदी ने अगर कुछ नहीं किया तो विपक्ष घबराया हुआ क्यों है ?

मोदी सरकार को सत्ता संभाले लगभग ४ साल का समय पूरा हो चूका है. मोदी सरकार बनने से पहले देश में ज्यादातर समय या तो कांग्रेस पार्टी का शासन था या फिर कांग्रेस के समर्थन से चलने वाली सरकारों का शासन था. कांग्रेस और इसके समर्थन से चलने वाली सभी सरकारों ने देश को जी भरकर लूटा और अपने जबरदस्त भ्रष्टाचार और कुशासन से देश को लगभग महाविनाश के कगार पर पहुंचा दिया. क्योंकि पिछले ६०-७० सालों से कांग्रेस और उसके सहयोगी मिल बांटकर देश को लूट रहे थे,मोदी सरकार के आने से इन सबकी कमाई भी बंद हो गयी और इन लोगों के समर्थन और सहयोग से चलने वाली वे सभी दुकाने भी बंद हो गयीं, जो सामाजिक कार्यकर्त्ता, अर्थशास्त्री , फिल्मकार, इतिहासकार और कलाकार आदि के नामों से चल रही थीं. यह सभी लोग “अवार्ड वापसी गैंग” का हिस्सा बन गए और अपनी दुकानों के बंद होने के विरोध में अपने अपने अवार्ड भी वापस करने लगे.
देखा जाए तो इन विपक्षी राजनीतिक दलों को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है. किसी भी व्यक्ति ने बड़ी मुश्किल से पिछले ६०-७० सालों में जनता को निर्ममता से लूटने की जो दुकाने खोल रखी हों, अगर उन्होंने अचानक ही बंद करना पड़ जाए तो उसकी पीड़ा को कोई भ्रष्ट-देशद्रोही ही समझ सकता है. इनके नुक्सान को मोदी सरकार ने तब कई गुना और बढ़ा दिया जब नोटबंदी, जी एस टी, बेनामी कानून और आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की कवायद भी सरकार ने शुरू कर दी. पहले तो इन भ्रष्ट-देशद्रोहियों की समस्या यह थी कि मोदी के आने से इनकी आगे की कमाई बंद हुई थी, लेकिन नोटबंदी, जी एस टी, बेनामी कानून और आधार से पैन कार्ड को जोड़ने का मतलब यह हुआ कि इन लोगों ने पिछले ६०-७० सालों के कुशासन में जो काला धन इकठ्ठा किया था, उसके भी पकड़ में आने की पूरी संभावनाएं बनने लगीं.
मोदी सरकार के इन कड़े फैसलों से घबराये यह लोग जनता को पिछले ४ सालों से लगातार गुमराह किये जा रहे हैं कि मोदी सरकार ने कोई काम नहीं किया है. अगर मोदी सरकार ने वास्तव में कोई काम नहीं किया है तो उसका फैसला जनता एक साल बाद कर ही देगी और उसके लिए तो विपक्ष के नेताओं और पार्टियों को तो खुश होना चाहिए कि चलो मोदी ने कुछ काम नहीं किया है, लिहाज़ा २०१९ में जनता मोदी को हटाकर इन्हे सत्ता में वापस ले आएगी ताकि यह लोग अपनी लूट का सिलसिला एक बार फिर से शुरू कर सकें. लेकिन इन राजनीतिक दलों और इनके नेताओं को भी मालूम है कि इन लोगों की २०१९ के चुनावों में जमानत जब्त होने वाली है. इसका सबसे बड़ा सुबूत यही है कि यह सारे के सारे राजनीतिक दल सिर्फ अकेले मोदी को हराने के लिए “ठगबंधन” बनाकर चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं. अगर मोदी ने कुछ काम ही नहीं किया है तो फिर इस “गठबंधन” या “ठगबंधन” की क्या जरूरत है ?

Saturday, March 17, 2018

थूककर चाटने वाले को केजरीवाल कहते हैं

केजरीवाल ने हाल ही में पंजाब के एक विरोधी राजनीतिक नेता मजीठिया से मानहानि मामले में कोर्ट के सामने जाकर अपना लिखित माफीनामा दाखिल किया है. पंजाब चुनावों के समय केजरीवाल ने अपनी गन्दी आदत के मुताबिक बेबुनियाद और गंभीर आरोप मजीठिया पर लगाए थे, जिन्हे वह अदालत में साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहे. केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का यह कोई पहला मामला नहीं है और न ही आखिरी मामला है. जब से केजरीवाल  राजनीति में आये हैं, पहले ही दिन से उनकी यह आदत रही है कि विपक्षी पार्टी के नेताओ पर गंभीर आरोप लगाकर किसी भी तरह चुनाव जीत जाओ और बाद में जब वह व्यक्ति केजरीवाल के ऊपर मानहानि का दवा ठोंक दे तो उन आरोपों को साबित करने की बजाये लिखित में  माफी मांग लो.
इसी तरह का एक बड़ा मानहानि का मामला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी केजरीवाल के ऊपर कर रखा है और इस मामले में भी केजरीवाल अभी तक कुछ भी आरोप साबित नहीं कर पाए हैं. इस बात की पूरी सम्भावना है कि अरुण जेटली समेत बाकी से सभी मानहानि के मामलों में भी केजरीवाल लिखित माफीनामा ही दाखिल करेंगे.
जहां तक मुझे ध्यान है केजरीवाल के खिलाफ सबसे अधिक और सबसे पहले ब्लॉग पर मैंने लिखना शुरू किया था क्योंकि जिस तरह की घटिया राजनीति केजरीवाल ने शुरू की थी, उसे ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पा रहे थे. उस समय बड़े बड़े और तथाकथित वरिष्ठ लेखक पत्रकार -” हारकर जीतने वाले को केजरीवाल कहते हैं.” जैसे चाटुकारिता भरे लेख लिख रहे थे. लेकिन उस समय भी मैं लगातार केजरीवाल की काली करतूतों का लगातार पर्दाफाश कर रहा था.
केजरीवाल ने जब अपनी गन्दी राजनीति शुरू की थी, उस समय केंद्र में और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. केजरीवाल ने जिस कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को पानी पी पी कर गालियां देकर अपनी राजनीति चमकाई थी, आज हालत यह है कि केजरीवाल खुद उसी कांग्रेस पार्टी और उसकी नीतियों के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं. मजे की बात यह है कि केजरीवाल जिस तरह से कांग्रेस की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढाने की एकतरफा चेष्टा कर रहे हैं, उस पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई भी जबाब नहीं आ रहा है. अभी जब कांग्रेस की बड़ी नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सभी विपक्षी पार्टियों को इकठ्ठा करने की गरज़ से एक डिनर मीटिंग रखी, उस मीटिंग में भी केजरीवाल को न बुलाया जाना इस बात को साबित करता है कि केजरीवाल का राजनीतिक असितत्व पूरी तरह समाप्त हो चला है.
मानहानि के मामले में अपनी टिप्पणी करते हुए केजरीवाल के कभी सहयोगी रहे कुमार विश्वास ने भी यही प्रतिक्रिया दी है कि जिस व्यक्ति को खुद थूककर चाटने की आदत हो उस पर थूकना भी बेकार है. एक दूसरे पूर्व सहयोगी, योगेंद्र यादव ने तो माफीनामे की खबर आने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर यह खबर सही है तो केजरीवाल को तुरंत ही राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए. सत्ता लोलुप केजरीवाल पर इस तरह की नेक सलाहों का कोई असर पड़ेगा, इस पर सभी को संदेह है.

Tuesday, March 6, 2018

मोदी ने कैसे किया वामपंथ का अंत !

पूर्वोत्तर राज्यों में नरेंद्र मोदी का जादू कुछ इस तरह से सर चढ़कर बोला कि वामपंथ और वामपंथी विचारधारा का एक ही झटके में अंत हो गया. इस देश में आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने अपने दुष्कर्मों पर पर्दा डालने के लिए वामपंथी ताकतों और उनकी विचारधारा को पनपने का भरपूर मौका दिया. वामपंथ की अपनी कोई विचारधारा नहीं है. इन लोगों की विचारधारा यही रही है कि “जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो”. दूसरे शब्दों में वामपंथ, माओवाद या फिर नक्सलवाद , यह सभी विचारधाराएं देशद्रोह पर आधारित हैं. जाहिर है कि जो भी व्यक्ति या संगठन इस विचारधारा का पक्षधर है, वह अव्वल दर्ज़े का  देशद्रोही  है.

कांग्रेस पार्टी ने अपने फायदे के लिए इन लोगों को देश का इतिहास लिखने पर लगा दिया और यह लोग अपनी मन मर्ज़ी से मन गढंत इतिहास लिख लिखकर देश के लोगों को गलत मलत इतिहास पढ़ने पर मजबूर करते रहे. इन लोगों का लिखा हुआ इतिहास कितना हास्यास्पद है, उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन लोगों की माने तो “राहुल गाँधी एक करिश्माई नेता” हैं और “शहीद भगत सिंह एक आतंकवादी” हैं. इन लोगों को पिछले ६०-७० सालों में तरह तरह के अवार्ड भी दे दिए गए, ताकि समय-समय पर यह लोग अपने इन फ़ोकट के मिले पुरस्कारों को वापस करके देशभक्त ताकतों के खिलाफ अपना विरोध जता सकें. बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई. इन लोगों की मौज मस्ती के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे तथाकथित शिक्षा संस्थान भी बना दिए गए, जहां पर यह लोग देशवासियों के खून पसीने की  कमाई पर अधेड़ अवस्था तक स्टूडेंट बने रहकर मौज कर सकें.

वैसे तो वामपंथी अपने आप को आस्तिक बताकर मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं लेकिन एक देशद्रोही लेनिन की मूर्ति इन्होने त्रिपुरा में लगा रखी थी, जिसे वहां की जनता ने बुलडोज़र चलाकर अब तोडा है जब वहां इनकी सरकार का अंत हुआ है. जब तक इन देशद्रोहियों की सत्ता पूर्वोत्तर में कायम रही, इन लोगों का भय और आतंक इतना ज्यादा था कि जनता इस देशद्रोही लेनिन की पत्थर की मूर्ति का भी बाल-बांका नहीं कर सकी. इसके विपरीत पिछले ७० सालों में वामपंथियों ने  संघ और भाजपा का समर्थन करने वाले लाखों देशभक्तों को मौत के घाट उतारकर अपनी हैवानियत का सुबूत दिया है. पूर्वोत्तर के अलावा केरल और  पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी इन लोगों ने अपना आतंक और भय काफी भयानक तरीके से फैला रखा है. क्योंकि यह  सारा खून खराबा  केंद्र में बैठी कांग्रेस पार्टी के इशारे पर किया जा रहा था, इन वामपंथियों को अपने कारनामे अंजाम देने में कभी भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा.

मोदी के सत्ता में आते ही इन लोगों को यह लगने लगा कि अब यह लोग अपनी इन आपराधिक वारदातों को मनमाने ढंग से अंजाम नहीं दे पाएंगे, इसी के चलते इन लोगों ने मोदी के हर बढ़िया से बढ़िया काम का बेबकूफ़ाना तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया. कांग्रेस पार्टी का तो समर्थन सदा से ही इन लोगों के साथ ही था क्योंकि वामपंथी इतिहासकारों ने आज़ादी की असली लड़ाई लड़ने वालों को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ “नेहरू और गाँधी” का महिमा मंडन जिस तरह से अपने मन गढंत इतिहास में किया था, उसका क़र्ज़ तो कांग्रेस को चुकाना ही था.

यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि कम्युनिस्टों को देशद्रोह का पहला सबक लेनिन ने ही सिखाया था जिसने पहले विश्व युद्ध में  रूसी सैनिकों से कहा था कि  अपने देश की जगह जर्मनी की मदद करो. देशद्रोही लेनिन से भारतीय कम्युनिस्टों ने अपने देश के विरूद्ध ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का फलसफा पढ़ा.

आज से ३०-४० साल पहले तक जब देश में लोग कम पढ़े लिखे थे और सोशल मीडिया का भी इतना प्रभाव नहीं था, तब तक कांग्रेसियों और वामपंथियों के कारनामे लोगों तक नहीं पहुँच रहे थे. लेकिन अब समय बदल चुका है और लोग यह समझ चुके हैं कि किस तरह से इन लोगों ने मिलकर भ्रष्टाचार और देशद्रोह पिछले ७० सालों में किया है.  इसीलिए जब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में ” भारत तेरे टुकड़े  होंगे” के देशद्रोही नारे वामपंथियों द्वारा लगाए गए तो उसका समर्थन करने न सिर्फ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी वहां पहुँच गए. केजरीवाल के वारे में मीडिया में पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चूका है और उनके कारनामों को देखकर तो कभी कभी खुद कांग्रेसी   और वामपंथी भी शर्मा जाते होंगे. वामपंथी कन्हैया की  दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत दिलवाने में केजरीवाल ने कैसे मदद की थी, उसके ऊपर मेरा एक पूरा लेख इसी मंच पर प्रकाशित हो चुका है.

संक्षेप में लिखा जाए तो कांग्रेसी, वामपंथी और केजरीवाल कमोबेश एक ही विचारधारा का समर्थन करते हैं और वह है कि “जहां मौका मिले-जिस थाली में खा रहे हो, उसी में छेद करना शुरू कर दो”. जो व्यक्ति या संगठन इनकी इस देश विरोधी विचारधारा का विरोध करता है, उसे यह बेहद मूर्खतापूर्ण ढंग से “सांप्रदायिक” कहते हैं.

देश  के मौजूदा कानून इन लोगों से निपटने के लिए पूरी तरह नाकाफी हैं. कानून बनाने का काम कांग्रेस पार्टी के हाथ में था, सो वह ऐसे कानून भला क्यों बनाती  जिनके चलते उन्हें या वामपंथियों को किसी परेशानी का सामना करना पड़े. अब जब मोदी जी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ रहा है, तो इनके पैरों के नीचे की जमीन भी खिसक रही है. इन्हे यह भी लग रहा है कि राज्य सभा में भाजपा का जैसे ही बहुमत हुआ नहीं, इनकी शामत आने वाली है क्योंकि उसके बाद उस तरह के कानून बनाये जाने तय हैं, जिनके तहत इस तरह की विघटन कारी ताकतों को समय रहते दण्डित किया जा सके.

वामपंथियों और कांग्रेसियों को धूल चटाकर जो बहुमत जनता मोदी को दे रही है, वह इसी उम्मीद के साथ दिया जा रहा है. केरल और पश्चिम बंगाल की मौजूदा सरकारें तो बेहद घटिया तरीके से खून खराबे में लगी हुई हैं, उन्हें भी अपनी सत्ता आने वाले समय में खिसकती दिख रही है, लेकिन यह लोग चाहे भी तो अपने कामकाज के तौर तरीकों में सुधार नहीं कर सकते क्योंकि किसी भी  लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इन लोगों को कोई विश्वास  ही नहीं है.

यह लोग इस गलतफहमी में हैं  कि सिर्फ संघ, भाजपा और मोदी के खिलाफ जबरदस्त दुष्प्रचार करके ही मोदी को हराया जा सकता है लेकिन  जिस तरीके से यह लोग काम करते आये हैं और कर रहे हैं, उसके चलते तो यह लोग कुछ भी कर लें, अगले किसी भी चुनाव में जीतने वाले नहीं हैं. देशद्रोह और भ्रष्टाचार यह छोड़ नहीं सकते और जनता देशद्रोह और भ्रष्टाचार के लिए अब बिलकुल तैयार नहीं है.

Sunday, February 25, 2018

“केजरीवाल की गुफा” में होते हैं ऐसे अपराध !

अभी तक लोग गुरमीत बाबा राम रहीम की “सीक्रिट गुफा” में किये जाने वाले काले आपराधिक कारनामों के बारे में भूल भी नहीं पाए थे, एक ऐसी ही दूसरी गुफा का हाल ही में खुलासा हुआ है.
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने एक बड़ा खुलासा करते हुए केजरीवाल की उस “सीक्रिट” गुफा के बारे में बताया है, जहां वह अपने सभी दुष्कर्मों को बखूबी अंजाम देते हैं. अभी हाल ही में जब दिल्ली के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारी अंशुल प्रकाश पर केजरीवाल की पार्टी के कुछ विधायकों और अन्य नेताओं ने गुंडागर्दी का अभूतपूर्व परिचय देते हुए , उन पर जानलेवा हमला किया तो वह आपराधिक घटना को इसी गुफा में अंजाम दिया गया. ताकि इस गुफा में किये गए आपराधिक कारनामे कानून की पकड़ में न आ सकें, इसीलिए यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस गुफा में कोई सी सी टी वी कैमरा नहीं हो.
हम सभी ने हिंदी फिल्मों में कई बार देखा है कि जब भी खलनायक, फिल्म के नायक या नायिका को पकड़कर उसे अपनी “सीक्रिट गुफा” में प्रताड़ित करता है तो उसकी “मजबूरी” और “बेबसी” का मज़ाक उड़ाते हुए खलनायक जोर जोर से राक्षसी अट्टहास लगाता है . ठीक उसी अंदाज़ जब आम आदमी पार्टी के कुछ गुंडे जब दिल्ली के वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी को घेर कर मार रहे थे, तो उस वक्त केजरीवाल और सिशोदिया बेशर्मी के साथ ठहाके लगा रहे थे. स्वतंत्र भारत की राजनीति
में संभवत यह सबसे अधिक शर्मनाक घटना है जिसके लिए दोषियों को जितना भी कड़ा दंड दिया जाए, कम ही होगा.
केजरीवाल के निजी सलाहकार (जिनकी नियुक्ति में लेफ्टिनेंट गवर्नर या केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है) वी के जैन ने कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने इस सारी आपराधिक वारदात का विस्तार से ब्यौरा दिया है, जो अपने आम में एक कानूनी सुबूत है. अपनी आदत के मुताबिक़ केजरीवाल अपने इस अपराध को भी भाजपा की साजिश बता रहे हैं मानो भाजपा ने फ़ोन करके चीफ सेक्रेटरी को रात के १२ बजे उस सीक्रिट गुफा में बुलाया हो. लेकिन अपनी आखिरी साँसे गिन रही दिल्ली सरकार अब देश की जनता, पुलिस और कानून को कब तक बेबकूफ बना पाएगी, यह देखने वाली बात है.
जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी हैं जहां ईमानदार अधिकारी गुंडों-बदमाशों और देशद्रोहियों को चुन चुन कर ठिकाने लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली जैसे राज्य भी हैं जहां इसके बिलकुल विपरीत हो रहा है और यहां पर गुंडे-बदमाश नेताओं के चोले में ईमानदार अधिकारियों को घेर घेर कर अपने गुप्त ठिकानो पर आधी रात को तबियत से पीट रहे हैं.
इस सारे मामले में सबसे बड़ा सवालिया निशान दिल्ली पुलिस की भूमिका पर लग रहा है. उत्तर प्रदेश में जब सारे गुंडे-बदमाश और देशद्रोही अपने गले में तख्तियां लटकाये घूम रहे हैं कि हमें जेल में बंद कर दो और हम लोग अब आगे से अपराध नहीं करेंगे, वहीं इस तरह का खौफ दिल्ली पुलिस कायम करने में पूरी तरह नाकाम रही है. दिल्ली में गुंडे-बदमाश और देशद्रोही न सिर्फ खुल्ले और बेख़ौफ़ घूम रहे हैं, बल्कि वे दिल्ली के सबसे सीनियर आई ए एस अधिकारी की बेशर्मी से पिटाई तक कर डालते हैं.
दिल्ली पुलिस को तुरंत सभी तरह का दबाब और लिहाज़ छोड़कर उस “सीक्रिट गुफा” में मौजूद सभी लोगों की गिरफ़्तारी करके उन सभी के लिए ऐसी कड़ी सजा की व्यवस्था करनी चाहिए जिसे देखकर आगे से किसी अपराधी की ऐसे अपराध करने की हिम्मत न पड़े.

PNB scam and its fallout is actually going to benefit BJP in the 2019 elections

On 7th February 2018, Prime Minister Narendra Modi delivered a historical speech in the Parliament. In his speech, he not only attacked the Congress party for the misdeeds done by it while it was ruling the country, but also warned that the time has now come to face the consequences of the misdeeds. Let us first see the relevant portion of the speech, which rattled the Congress party:
PM Modi said, “I have proof of how the Congress looted and plundered India. You will pay for your sins. Time has come for you to be held accountable and answerable to the people of India. Loans were given without any scrutiny, they were distributed like sweets. Your bad decisions have directly been the reason for failures.”
If we read carefully what has been said by PM Modi in the above few words, we will find that this was the most severe attack by any PM in the Parliament directed at the main opposition party. Congress party was well aware of its impact inside and outside the Parliament as the proceedings of the Parliament were live telecast and being watched by the whole country.
Congress party, in a damage control tactic, tried to divert the attention of the House and the public through Renuka Chaudhary episode. To some extent, the Congress succeeded in its tactics as the media began discussing the Renuka Chaudhary and Shoorpnakha episode instead of discussing the “organised loot” by the Congress during the last 10 years of UPA rule.
After assuming power in May 2014, Modi government has completed roughly 4 years and the people of the country were getting restless and impatient that no action is being taken by the government against the people involved in corruption during the UPA regime. The speech delivered in the Parliament on 7th February 2018 was merely a warning to the Congress and a clear message to the people of the country that enough is enough and now the time has come to take corrective action and punish the people involved in corruption.
Many people will ask that why PM Modi took almost 4 years time to initiate such steps against the corruption and misdeeds of the previous UPA Government? The Congress and other opposition parties were very much aware why he took so much time. During the last 4 years several such measures were taken, which were opposed by the Congress and other opposition parties in the strongest possible terms. These measures were demonetisation, implementation of benami property law, implementation of GST and linking of Aadhar.
If we look carefully, all these measures are designed and enforced to ensure the detection of black money already accumulated and to ensure that further generation of black money is minimised if not eliminated. Opposition parties were protesting that all these measures are anti-people and the public is badly affected by such measures taken by the government. But in reality, opposition parties were scared that after all these measures are in place, they will be trapped and all their misdeeds will be exposed.
Now we come to the infamous PNB scam. Let us first understand how there can be a scam or fraud in the banking system. Banks provide loans and other credit facilities to its clients and charge interest and other charges mutually agreed between the bank and the clients. To secure its credit facilities, banks take adequate security from the client, so that, in case of default, the bank can sell the security and realise its loan or credit facility. Only personal loans of very small amounts are exception to this rule. If any bank is providing any loan or credit facility either without taking any security or by taking inadequate security, then this is a “scam” or “fraud”.
Nirav Modi was sanctioned the letter of credit facility without taking any collateral security in 2011, during the UPA government was in power. What happened thereafter is of no relevance. Let us try to understand this scam or fraud with the help of a simple example. When a common man goes to the bank for taking a home loan, the bank gives him the loan for an amount not exceeding 80 per cent of the market value of the property, after mortgaging the property of the borrower. If the value of the property is Rs. 25 lakh, the bank will give you a loan of Rs. 20 lakh only, keeping the sufficient margin to meet any eventuality of the downward price fluctuation in the value of the property mortgaged.
Now consider the case of Nirav Modi where no security was taken at all by the bank, while the amount involved was huge. Such scams or frauds are not possible without the connivance of the erstwhile chairman of the bank or the Finance Minister.
People are also asking how this scam was not detected by the internal control systems of the bank or by the auditors. The answer to this question is that scams are executed in violation of the system. Even if there are systems in place, if you want to commit a fraud in connivance with a set of corrupt bank employees with the blessings of the top management of the bank and the finance ministry, who is going to stop you!
Now the whole scam is being investigated. It is possible that auditors have given their report clearly indicating the extent and nature of the fraud, but the question is, who is going to take action if top management of the bank or Finance Minster himself is involved in the scam. The responsibility of the auditor is to report the matter in the audit report and submit the same to the competent authority. If competent authority himself is responsible for the fraud then nothing more can be expected from the auditors or from the system. If the top management of the bank was not involved in this scam then how they allowed the same staff to work on the same seat and same branch for such a long period when staff of the bank gets transferred generally in a period of 3 years.
As PM Modi said in his speech that loans were distributed like sweets without any scrutiny, I must say that Nirav Modi scam is not the last case. One more such case of Rotomac Pens Limited has also been exposed recently, many more such cases will be exposed. All government banks have accumulated huge NPAs. Vijay Mallya was also given an unsecured clean loan despite the fact that he was already a defaulter.
Let us hope that we will see more such scams and more arrests and punishment to the relevant officers. However, merely arresting the junior officers will not serve any purpose as they have not sanctioned such huge credit facilities. The persons who have sanctioned the huge credit facilities without taking any security or inadequate security should be arrested and punished. If PM Modi can do this, then there is every possibility that the BJP will return to power in 2019 with a thumping majority.

Saturday, February 17, 2018

२०१९ में एक बार फिर होगी मोदी की धमाकेदार वापसी

२१ दिसंबर २०१७ को मेरा एक लेख इसी मंच पर प्रकाशित हुआ था. शीर्षक था-“मोदी जी, भ्रष्टाचारियों से नहीं निपटे तो आपकी सरकार निपट जाएगी”. २०१९ में लोकसभा के चुनाव होने हैं और भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करने के लिए समय अब बहुत कम बचा है- जो काम पिछले ४ सालों में नहीं हुआ, उसे अब सिर्फ आखिर के एक साल में करने की बड़ी चुनौती मोदी सरकार के सामने है. पंजाब नेशनल बैंक के नीरव  मोदी घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है. इस घोटाले के बारे में अगर विस्तार से और ठीक से लिखना हो तो एक २५० पन्नों की पूरी किताब लिखनी पड़ेगी. लेकिन ब्लॉग में यह सब लिखना न तो संभव है और न ही उसे कोई पाठक पढ़ना चाहेगा. हम इस घोटाले को बेहद सरल तरीके से समझने का प्रयास करते हैं. किसी भी बैंक में अगर आप कोई “होम लोन” भी लेने जाते हैं तो आपका वह मकान गिरवीं रख लिया जाता है और उसके बाजार मूल्य की लगभग ८० या ९० प्रतिशत रकम आपको “होम लोन” के रूप में दे दी जाती है. फ़र्ज़ कीजिये कि आपको एक २५ लाख रुपये की कीमत का मकान खरीदना है तो उसके लिए बैंक आपके मकान को गिरवीं रखकर उसके लिए सिर्फ २० लाख रुपये का लोन ही देगा और बाकी की रकम का इंतज़ाम आपको खुद करना होगा. इतना सब कुछ होने के बाद भी सरकारी बैंकों से लोन लेना कितना मुश्किल काम है, यह वे सभी लोग भली भांति जानते होंगे जिन्हे कभी लोन की जरूरत पडी है और वे किसी बैंक के पास लोन लेने गए हैं.
साल २०११ में नीरव मोदी भी पंजाब नेशनल बैंक के पास गया और बोला कि मुझे विदेश से कुछ सामान आयात करना है और इसके लिए मुझे आपके बैंक से “लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग” चाहिए जिसके आधार पर मुझे विदेश में स्थित बैंक से सस्ते दर पर लोन मिल सकेगा और मैं उस लोन की रकम से उस आयात किये हुए सामान की रकम का भुगतान कर सकूंगा. यहां तक कोई दिक्कत नहीं थी. यह सब बैंकिंग कार्यप्रणाली का हिस्सा है. लेकिन यहां जो सबसे बड़ी “चूक” या “घोटाला” हुआ वह यह था कि पंजाब नेशनल बैंक ने इस “लोन” के बदले नीरव मोदी से कुछ भी गिरवीं रखने के लिए नहीं कहा और एक तरह से यह सुविधा बैंक ने बिना किसी “सिक्योरिटी” लिए ही उसे प्रदान कर दी. जिन लोगों ने यह सुविधा प्रदान की वे कोई छोटे मोठे बैंक अधिकारी नहीं रहे होंगे. उस समय इस बैंक के चेयरमैन कौन थे, वित्त मंत्री कौन थे और आर बी आई के गवर्नर कौन थे, यह बात सुनने में तो  राजनीति से प्रेरित लग सकती है लेकिन दरअसल देखा जाए तो सिर्फ इन्ही तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी ही इस घोटाले की सजा का दंड हो सकती है.
यहां हम सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिख लिखकर यह कह रहे हैं कि मोदी जी भ्रष्टाचारियों पर लगाम नहीं लगा रहे हैं और उधर मोदी जी चुपचाप इस तरह से इन भ्रष्टाचारियों की जड़ें हिलाने में लगे हुए हैं, जिससे न सिर्फ यह घोटाले खुद बा खुद निकलकर बाहर आएं, बल्कि भ्रष्टाचारियों को बचकर भागने का मौका भी न मिले. नोटबंदी, जी एस टी , बेनामी कानून और आधार से सब कुछ लिंक करने का विरोध जो लोग कर रहे थे, अगले कुछ ही दिनों में वे सभी जेल जाने वाले है, इसमें अब कोई शक बाकी नहीं रह गया है. कांग्रेस पार्टी ने क्योंकि दुष्प्रचार के बल पर इस देश में एक लम्बे अरसे तक सत्ता का सुख भोगा है, इसलिए वह अपने हर घोटाले को किसी तरह से मोदी से ही जोड़ने की कोशिश करने लगती है. इस बार तो कांग्रेस ने हद कर दी जब उसने नीरव मोदी को पी एम मोदी से जोड़ने की कोशिश सिर्फ इस आधार पर  की क्योंकि दोनों में “मोदी” सरनेम लगा हुआ है. हाल ही में दावोस में एक ग्रुप फोटो में जहां पी एम मोदी मौजूद थे, उसी फोटो में नीरव मोदी की फोटो दिखाकर कांग्रेस यह साबित करने पर टूल गयी कि २०११ में हुए इस बैंकिंग घोटाले के लिए मोदी जी जिम्मेदार हैं.आज से १५-२० साल पहले तक इस तरह का दुष्प्रचार चल जाता था क्योंकि उस समय न तो इंटरनेट था और न ही सोशल मीडिया. लेकिन आज हालात बिलकुल विपरीत हैं, जिन्हे कांग्रेस पार्टी समझने के लिए तैयार नहीं है. आज अगर कोई पार्टी दुष्प्रचार करके झूठ बोलने का प्रयास करती है, तो सोशल मीडिया पर उसकी धज्जियां उड़ा दी जाती हैं और झूठ बोलने वाले की अच्छी खासी फजीहत होती है सो अलग. जिस तरह से रघुराम राजन का “छोटा राजन” से कोई सम्बन्ध नहीं है, ठीक उसी तरह से नरेंद्र मोदी का “नीरव मोदी” से कोई सम्बन्ध नहीं है. १२५ साल पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस अगर इस तरह को ओछी हरकत करती है तो यह और भी अधिक शर्मनाक है.
राजनीति  से हटकर दुबारा से हम बैंक घोटाले की तरफ वापस आते हैं. बैंक में एक बार जो लोन या इससे जुडी सुविधा मंजूर हो जाए, वह सालों साल चलती रहती है क्योंकि लोन की सुविधा का नवीनीकरण एक निश्चित अवधि के बाद   ही होता है.इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि लोन पास करने वाले और उस सुविधा का क्रियान्वन करने वाले लोग अलग होते है. लोन की मंजूरी बहुत बड़े लेवल के अधिकारी या अधिकारियों द्वारा की जाती है लेकिन एक बार वह सुविधा मंजूर हो गयी तो उसका क्रियान्वन तो बैंक में बैठे जूनियर अफसर और क्लर्क ही करते है. २०१७ तक यह अधिकारी जब तक अपनी सीट पर रहे, नीरव मोदी घोटाला चलता रहा और २०१७ में यह लोग जब रिटायर हो गए और जब इस सुविधा का नवीनीकरण जनवरी २०१८ में नए अफसरों के पास आया तो उन्होंने इस मामले की तह में जाने की कोशिश की. जब तह में गए तो मालूम पड़ा कि सिर्फ “दाल में कुछ काला नहीं है”, बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है. इसके बाद जो कुछ भी हुआ , वह सभी पाठकों को अखबारों और टी वी चैनलों के जरिये मालूम पड़ ही रहा है.
२०१८ का साल इस लिहाज़ से काफी उथल पुथल वाला रहेगा क्योंकि मोदी जी इस बार २०१९ के चुनावों से ठीक पहले भ्रष्टाचारियों पर पूरी तैयारी के साथ हमला करने वाले हैं. इस घोटाले की लपटें कांग्रेस पार्टी से होती हुई आम आदमी पार्टी तक पहुँच रही हैं. घोटाले की रकम बढ़ सकती है और इसमें शामिल लोगों की संख्या भी बढ़ सकती है लेकिन देश की जनता के सामने मोदी जी ने कांग्रेस को एक बार फिर से बेनकाब कर दिया है. कांग्रेस पार्टी ने अपने अखबार नेशनल हेराल्ड पर एक ऑनलाइन पोल आयोजित करके लोगों से यह जानना चाहा कि इस घोटाले के लिए कौन जिम्मेदार है ? पोल लगभग २४ घंटे तक चलना होता है. लेकिन जब कुछ ही घंटों के बाद जब ९० प्रतिशत लोगों ने इस घोटाले के लिए कांग्रेस को ही दोषी ठहराया तो शर्मा शर्मी कांग्रेस पार्टी के इस अखबार ने उस पोल को ही हटा लिया. वेबसाइट से पोल हटाना आसान है लेकिन देश की जनता के दिलों से भी कांग्रेस अपने घोटालों वाली छवि को हटा पाएगी, यह कांग्रेस के लिए इस जन्म में तो संभव नहीं लगता है.
यह लेख लम्बा और बोरिंग हो गया है, इसलिए मैं इसका समापन कुछ रोचकता के साथ कर देता हूँ. कांग्रेस और दूसरी मोदी विरोधी पार्टियों के जबरदस्त विरोध और दुष्प्रचार के बाबजूद २०१९ के लोकसभा चुनावों में मोदी जी कम से कम ३०० सीटों के साथ वापसी करने वाले हैं. जिन्हे यह बात गलत लगती हो वे इस लेख को सेव कर के रख सकते हैं.

Monday, February 5, 2018

क्या 2018 के आम बजट में मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है ?

क्या 2018 के आम बजट में मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है ?
जिस दिन से २०१८-१९ के आम बजट की घोषणा हुई है, देश की विपक्षी पार्टियां और उसके नेता सकते में हैं. २०१९ के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी बजट है और “मिडिल क्लास” यानि कि मध्यम वर्ग भाजपा का सबसे प्रिय वोट बैंक है. २०१४ से अब तक मध्यम वर्ग के लिए अलग अलग बजटों में सरकार रियायत दे भी चुकी है. लेकिन इस बार के बजट में ४०००० रुपये की मानक छूट देने के साथ साथ १९२०० रुपये का यातायात भत्ता और १५००० रुपये के मेडिकल खर्चों के भुगतान को ख़त्म कर दिए जाने की वजह से , मध्यम वर्ग के लोगों को यह लग रहा है मानो यह छूट सिर्फ ५८०० रुपये की ही है, जबकि ऐसा सोचना सही नहीं है. आयकर कानून में इस बार जो ४०००० रुपये की छूट दी गयी है, उसके साथ कोई शर्त नहीं लगी है और वह सभी वेतन भोगियों और पेंशन भोगियों को सामान रूप से मिलने वाली है. इसके विपरीत जो १९२०० रुपये का ट्रांसपोर्ट अलाउंस मिलता था, वह इस शर्त पर मिलता था कि उतनी रकम कर्मचारी ट्रांसपोर्ट पर खर्चा करता होगा. इसी तरह १५००० रुपये के मेडिकल बिल्स देने पर ही मेडिकल के खर्चे मिलते थे. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि पेंशन भोगियों को यह दोनों ही भत्ते यानि ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल खर्चे के भुगतान उपलब्ध नहीं था. जिन कर्मचारियों को दफ्तर की तरफ से कोई सवारी या आने जाने की सुविधा मिली हुई थी, उन्हें भी ट्रांसपोर्ट अलाउंस उपलब्ध नहीं था. मेडिकल के १५००० रुपये उन्ही को मिलते थे, जिन्होंने वास्तव में यह रकम खर्च की हो और उसके बिल पेश करने पर ही यह भुगतान मिलता था. इस तरह से हम देखें तो अभी घोषित की गयी ४०००० रुपये की छूट की तुलना उन छोटे मोठे भत्तों से करना सर्वथा अनुचित है. लेकिन क्योंकि इतनी बारीकी से लोगों को समझाने में समय लगता है, उसके चलते विपक्षी राजनेताओं और पार्टियों ने इसी को मुद्दा बनाकर दुष्प्रचार शुरू कर दिया और बजट को “मध्यम वर्ग” के विरुद्ध बताने की कवायद शुरू कर डाली.
बजट के तुरंत बाद ही केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, केंद्रीय मानव संशाधन राज्य मंत्री सत्य पाल सिंह, भाजपा के नेता श्याम जाजू,ओम बिरला, मीनाक्षी लेखी और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट गोपाल कृष्ण अग्रवाल , चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की एक सभा में बजट सम्बन्धी सवालों के जबाब देने के लिए मौजूद थे. उस मीटिंग में मैं खुद भी मौजूद था. जब इन नेताओं से मध्यम वर्ग द्वारा उठाई जाने वाली इन आशंकाओं के बारे में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने सवाल किये तो जो जबाब निकल कर सामने आये, उन्हें संक्षेप में इस तरह से लिखा जा सकता है :
१. सरकार के पास सीमित साधन होते हैं और उन्ही साधनों में से उसे समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखना होता है. अगर सरकार को सिर्फ कागज़ों पर योजनाओं की घोषणा करनी हो और उन्हें अमल में नहीं लाना हो तो कुछ भी घोषणाएं की जा सकती हैं, लेकिन यह सरकार सभी घोषित योजनाओं को अमल में लाने के लिए कृत संकल्प है और इसलिए सिर्फ ऐसी घोषणाएं कर रही है जिन्हे वास्तव में पूरा किया जा सके.
२. साल १९७१ से ही देश में “गरीबी हटाओ” का नारा चलाया जा रहा है और अब तक किसी भी सरकार ने “गरीबी हटाने ” के लिए कोई ठोस काम नहीं किया है. मोदी सरकार ने आते ही जान धन बैंक खाते खुलवाकर , उन्हें आधार से लिंक करवाकर यह सुनिश्चित किया कि गरीबों को जो कुछ भी मिलना है वह न सिर्फ सीधे उनके खाते में जाए, बल्कि आधार से लिंक होने की वजह से यह भी सुनिश्चित किया कि गरीबों को मिलने वाली रकम किसी गलत हाथ में न चली जाए.
३. मध्यम वर्ग के लिए पिछले बजटों में दो बार रियायत दी जा चुकी है, उस समय समाज के कुछ और वर्ग छूट गए थे, क्योंकि संसाधन सीमित होते हैं. इस बार समाज के अन्य सभी वर्गों को भी रियायत देने का संकल्प लिया गया है, इसकी वजह से मिडिल क्लास के लिए जो कुछ भी किया गया है, वह उन्हें कम लग सकता है लेकिन सरकार ने इसी बजट में जो अन्य कदम उठाये हैं, उनका अपरोक्ष रूप से फायदा भी मिडिल क्लास को ही पहुँचने वाला है. सरकार के प्रतिनिधियों का यह भी कहना था कि किसानों के साथ साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी इस बार दिल खोलकर रियायतें दी गयी हैं और सरकार वरिष्ठ नागरिकों को भी “मिडिल क्लास” का ही हिस्सा मानती है.
जब यह सारी बातचीत हो रही थी तो चार्टर्ड एकाउंटेंट्स भी अपने सवाल जबाब सरकार के प्रतिनिधियों से करके उन पर अपना स्पष्टीकरण मांग रहे थे. एक सवाल का स्पष्टीकरण देते हुए सरकार के एक प्रतिनिधि ने इस तरह से जबाब दिया :
” सिर्फ जो लोग वेतन पाते हैं, वही मध्यम वर्ग नहीं हैं. मध्यम वर्ग वे भी हैं जो वेतन नहीं पाते हैं और अपने अपने छोटे मोटे रोजगार या पेशे से जुड़े हुए हैं. अगर देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे में सुधार होगा तो क्या उसका फायदा मिडिल क्लास को नहीं मिलेगा ? सरकार की कोशिश किसी वर्ग विशेष को ज्यादा या कम सुविधाएँ देने की न होकर, इस तरह के बजट बनाने की थी, जिसका लाभ समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सामान रूप से पहुँचाया जा सके और जिस “गरीबी हटाओ” को १९७१ से सिर्फ एक नारा बनाकर छोड़ दिया गया था, उसे अमली रूप दिया जा सके.”
शेयर मार्किट में होने वाले दीर्घ कालीन लाभ पर १०% कर लगाने के बारे में यह बात बताई गयी कि इस छूट का दुरूपयोग बड़ी बड़ी कम्पनियाँ कर रहित आमदनी बनाने में कर रही थीं. सरकार ने इस पर १०% कर लगाया है लेकिन मिडिल क्लास के लिए यहां भी यह छूट दे दी है कि इस तरह से कमाए गए १००००० रुपये पर कोई टेक्स नहीं देना होगा. इस तरह से मिडिल क्लास को यहां भी छूट मिली है क्योंकि जो लोग गरीबी से तंग हैं, वे तो शेयर मार्किट में काम करते नहीं हैं और जो गरीबी की रेखा से बहुत ऊपर यानि उच्च आय वर्ग में आते हैं, उन्ही से १० प्रतिशत टेक्स लिए जाने की योजना है.
जब इस मीटिंग में से एक एक करके सारे मंत्री और नेता चले गए और सिर्फ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ही रह गए तो जो चर्चा हुई, वह काफी रोचक थी और उसका सार यह था कि जो बजट २०१८-१९ के लिए पेश किया गया है, उससे बेहतर बजट इन इन हालात में बनाना संभव नहीं था और शायद इसीलिये विपक्ष किसी और मुद्दे पर इसका विरोध भी नहीं कर पा रहा है. विपक्ष को थोड़ी सी आशा की किरण इसी बात में लग रही है कि “मिडिल क्लास” के मुद्दे पर दुष्प्रचार करके , भाजपा के वोट बैंक में थोड़ी बहुत सेंध लगाने में कामयाब हो सके. इस बात की भी चर्चा हुई कि ऐसे समय में सरकार को राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,राज्यपाल और संसद सदस्यों के वेतन भत्तों पर प्रस्ताव नहीं लाना चाहिए था.
मेरा अपना मानना यह है कि “मिडिल क्लास” इस देश में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा, जागरूक और समझदार वर्ग है. कुछ टेक्स में कम रियायत मिलने पर वह यह नहीं करने वाला हैं कि मोदी को पी एम बनाने की जगह वह कुछ ऐसा कर बैठे जिससे राहुल, केजरी,अखिलेश,ममता,माया,मुलायम,तेजस्वी यादव जैसे लोगों में से कोई व्यक्ति इस देश का प्रधान मंत्री बन बैठे. मेरा अपना मानना यह भी है कि २०१९ के चुनावों में भाजपा को बड़ी चुनौती न तो “मिडिल क्लास” है और न ही बजट है. जो सबसे बड़ी चुनौती है वह कश्मीर से आने वाली है. कश्मीर में जिस तरह से देशद्रोहियों के साथ मिलकर भाजपा ने अपनी सरकार बना रखी है और जिस तरह से आम आदमी से वसूले हुए टेक्स को कश्मीरी देशद्रोहियों पर लुटाया जा रहा है, उसे लेकर सोशल मीडिया में काफी आक्रोश है. मेजर आदित्य पर FIR और ९७३० देशद्रोही पत्थरबाजों को बिना किसी दंड दिए छोड़ देना भी देशवासी हज़म नहीं कर पा रहे हैं. हुर्रियत के आतंकवादियों की सुरक्षा पर सरकार जिस तरह करोड़ों रुपये लुटा रही है, उसे भी देशवासी स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं. बजट के बाद से ही कुछ विपक्षी नेताओं के इशारे पर जिस तरह से शेयर मार्किट को गिराया जा रहा है, उसे देखकर लगता है कि या तो सरकार का ख़ुफ़िया तंत्र ठप्प हो गया है या फिर सारी जानकारी होने पर भी ऐसे “आर्थिक अपराधियों” पर पर्याप्त सुबूत होने के बाबजूद भी कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है. ४ फरवरी २०१८ के “सन्डे गार्जियन” में एक विस्तार से लिखे गए लेख में इस बात का खुलासा किया गया है कि एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शेयर मार्किट को २०१९ के आम चुनावों से पहले भी गिराने की योजना बना रहा है. इस नेता और उसके बेटे के खिलाफ पहले से ही कई मामले चल रहे हैं, लेकिन सरकार इस नेता से “जेल की चक्की” पिसवाने में किस बात का संकोच कर रही है, यह लोगों की समझ से परे हैं.
(लेखक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और टैक्स मामलों के एक्सपर्ट हैं.)

Sunday, February 4, 2018

7 reasons why Budget-2018 is a masterstroke by Narendra Modi

The Union Budget 2018 presented by the Finance Minister Arun Jaitley was the last budget of the Narendra Modi Government before the Country again goes to Loksabha Elections in 2019. As was expected, opposition political parties, however, do not endorse this general view and are criticising the budget on the pretext that the middle class taxpayers have been completely ignored in the budget.
Before, we proceed further, let us first discuss the benefits given in the budget to the middle class population of the society.
1. Majority people in the middle class can be classified as salaried persons. Standard Deduction of Rs.40000 has been introduced in the budget, which will be available to all persons drawing salary and pension, irrespective of their salary amount. It may also be noted that there are no conditions attached for availing this deduction. Some people are spreading the misinformation that the benefit of Standard Deduction has been taken away by the Government by withdrawing the Transport Allowance of Rs.19200 and Medical Reimbursement of Rs.15000. It may be noted in this regard that the availability of these two benefits was not unconditional. Any allowance under the Income Tax Act was allowed subject to the amount actually spent by the Assessee. Medical Reimbursement was also available on the submission of the Medical Bills. Further, the Transport Allowance was not available to those who were getting pension and those who have been provided Transport facility by the employer. There are no such conditions attached for availing the Standard Deduction. Clearly any allowance and reimbursement can not be compared with the Standard Deduction.
2. Long Term Capital Gain on sale of Equity Shares route was misused by the large corporates and manipulators to earn and accumulate tax free income at the cost of the general public. Government has rightly checked this malpractice, by bringing this income into the tax net so that the revenue generated by this step, can be used for the general welfare and development of the other sections of the society. To protect the interests of the middle class population, here again, an exemption of Rs.100000 has been provided, which means that any Long Term Capital Gain on sale of Equity Shares  up to an amount of Rs.100000 shall not be taxable.
3. Another major category in the middle class population can be classified as Senior Citizens. Existing tax free interest income limit of Rs.10000 has been enhanced to Rs. 50000 for senior citizens. Amount admissible for health insurance premium and medical treatment has been enhanced from Rs. 30000 to Rs.50000. The existing limit of Rs.60000 to meet out the medical treatment of certain specified critical diseases has been enhanced upto Rs.100000.
4. Budget has given the major incentives to certain industries for employment generation. In all probability, middle class is going to the benefited by this step. Those who are going to be employed in the industry, are likely to come from the middle class families only.
5. For Senior Citizens, investment limit under the PMVV Yojna has been enhanced from Rs.750000 to Rs. 1500000.
The above list of benefits to middle class is not exhaustive and the other measures taken by the Government in the Budget are also likely to benefit the middle class in a big way. Some of the examples of such measures are the incentives and tax relief to MSME Sector, setting up of 5 lakh wi-fi hot spots in rural areas, allocation of Rs.3 lakh crore for PM Mudra Yojna, promotion of start- ups etc.
It is therefore clear that the allegations of the opposition parties and their leaders that there is nothing in this budget for the middle class, is without any basis.

Now, let us discuss the measures taken in the budget,which not only provides measure relief to almost each and every section of the society, but also contribute to the long term growth and development of the nation. Congress Party has given the slogan of “Garibi Hatao” in 1971 and this remained a political slogan as nothing was done by any Government to ensure that the poverty is actually eradicated from the society. Year after year, several schemes were announced in the budgets in the name of “Garibi Hatao”, but there was no mechanism to ensure that the benefits intended to reach the poor people are actually reaching them or not.
After Modi Government came to power in 2014, it launched a massive operatiopn to open the Jan Dhan Bank Accounts, so that the benefits which are due to the poor people are directly transferred to their bank accounts. Linking of Adhaar with the Bank accounts, further eliminated any possibility of monetary benefits going into the wrong hands. We list down the 7 major steps taken by the Government in the Budget-2018, which can be termed as a Masterstrokes:
1. Boost to Agricultural Economy
For the first time after the independence, something meaningful is being done to boost the Agricultural Economy. MSP for all crops proposed to be raised to one and half times of their production cost.22000 Rural Haats will also be developed to protect the interests of the small and marginal farmers. Institutional Farm Credit has also been raised to Rs.11 Lakh Crore. Operation Greens will address the price fluctuations of Potato,Tomato and Onion. Two new funds of Rs.10000 crore have been announced for Fisheries and Animal Husbandry Sectors. National Bamboo Mission has also been allocated Rs.1290 Crore.
2. Women Empowerment
In order to ensure that the Women Empowerment does not remain only on paper, some concrete measures have been proposed. Government will contribute 8% in EPF Accounts for 3 years for women employees. Under the Ujjwala Scheme, target of Free Gas Connection to women living below the poverty line, has been enhanced from 5 crore to 8 crore. Loans for women self help groups will be increased to Rs.75000 crore by March 2019. Allocation for National Rural Livelihood Mission enhanced to Rs.5750 crore. Maternity leave period increased from 12 weeks to 26 weeks. Two Crore Toilets proposed under the Swachch Bharat Abhiyan.
3. Health for All
World’s largest health care scheme covering 10 crore poor and vulnerable families consisting of around 50 crore people has been announced. This will provide the Floating Mediclaim Cover of Rs.500000 to each household. Rs.1200 Crore have been allocated for Health Wellness Centres and Rs.600 crore have been allocated for providing nutritional support to TB patients. One Medical College is proposed for every 3 parliamentary constituencies. 24 Government District Hospitals shall be upgraded to Government Medical Colleges.
4. Education
To improve the quality of education in the country, integrated B.Ed Programs have been proposed. Under the PMRF Scheme, 1000 students pursuing B.Tech per year will be provided facilities to do PHD in IITs and IISc with handsome fellowships. RISE scheme has been allocated Rs.100000 crore over 4 years for revitalising the school infrastructure. Every Block having 50% ST population and atleast 50000 tribal people, shall have “Eklavya School” by 2022.
5. Infrastrucure Development
Almost 6 lakh crore have been allocated for infrastrucure development. One Crore houses have been targeted in rural areas. Completion of PM Gram Sadak Yojna advanced to 2019.To eliminate the capacity constraints and transform almost all the network into Broad Gauge, Capex for Railways have been enhanced to Rs.148528 crore. Airport capacity is also proposed to be expanded upto 5 times.
6. New Opportunities
Target of lending increased to Rs.3 Lakh crore under MUDRA Scheme. Government to contribute 12% of the wages of the new employees in the EPF for all sectors for the next 3 years. 50 Lakhs youth will be given stipned support under the under the National Apprenticeship Scheme. Tax Rate for MSMEs having turnover upto Rs.250 crores has been reduced to 25%. Measures have been proposed to address the NPAs and stressed accounts of MSME sector.
7. Middle Class
Middle Class population is the backbone of the Society and its role in the development and growth of the nation is paramount.No Government can ignore the Middle Class and it is least expected from the Modi Government which is committed for -” Sabka Saath-Sabka Vikas”. Measures taken by the Government for the benefit of middle class have already been discussed in detail and need no further elaboration. It may also be noted that the measures proposed for all other sections of the society are of such nature, which will ensure the overall growth and development of the nation and will benefit all sections of the society.
Budget making exercise is a tough task and it becomes more difficult when it is the last budget before going into the General Elections. Governments are often tempted to give “Populist”  budgets in such situations. PM Modi too had the option of giving the “Populist” Budget. But we have seen how after the independence, successive Governments announced several schemes, which were never implemented. We have also seen at the time of Demonetisation and at the time of implementation of GST, present Government always implemented the Schemes which are necessary for the development of the nation and welfare of the society, without any fear or hesitation about the Vote Bank politics and despite opposition from the political parties and their supporters sitting in the main stream media and elsewhere.
People have also posed their faith in the Government and its initiatives, which is evident from the Election results of the several states after the Demonetisation and GST implementation. Despite the fact that Opposition Parties and their leaders made every possible effort to mislead the people of the country on the Demonetisation and GST, people of the Country virtually snubbed these so called opposition parties and their leaders.
If we look at the proposals announced in the Union Budget 2018-19, we can only say that this is a  Masterstroke by the Modi Government, which has totally silenced the opposition parties and also provides the benefits to each and every section of the society with only single concept of “Sabka Saath-Sabka Vikas” in mind.

Thursday, February 1, 2018

SALIENT FEATURES OF THE FINANCE BILL 2018

Salient Features of Finance Bill, 2018
                       -CA RAJEEV GUPTA

👉1. No change in Tax Rate. All persons including individuals, HUF, Firms and Companies to pay same tax . However Education cess is being increased from 3 to 4 % to be knon as Education and Health cess.

👉2. However  for Domestic Companies having total turnover or  gross receipts  not exceeding  Rs 250 crores in Financial year 2016-17 shall be liable tp pay tax at 25% as against present ceiling of Rs 50 crore in Financial year 2015-16.

👉3. Long term Capital gain exemption under section 10(38) in respect of listed STT paid shares being withdrawn.

👉4. However capital gain up to 31.1.2018 shall not be taxed as cost of acquisition will be taken as Fair Market Value as on 31.1.2018.

👉5. Tax on STT paid long term capital Gain will be 10% under Section 112A. Further such tax will be liable for TDS.

👉6. Standard Deduction of Rs 40,000 for salaried employees. However benefit of transport allowance of Rs 19,200 and Medical Reimbursement  of Rs 15,000 under Section 17(2) are being withdrawn. Thus net benefit to salaries class only Rs 5,800

👉7. Provision of Section 43CA, 50C and 56(2)(x) being amended to allow 5%  of sale consideration in variation vis a vis stamp duty value. On account of location, disadvantage etc.

👉8. Provision of section 40(ia) and 40A(3) and 40A(3A)are being made applicable to Charitable Trust . Hence expenditure incurred without deduction of tax and in cash will not be eligible as application of income under section 10(23C) and section 11(1)(a).

👉9. Agriculture Commodity Derivates income /loss  also not to be considered as speculative under section 43(5).

👉10. Income Computation and Disclosure Standards(ICDS) being given statutory backing in view of decision of Delhi High Court decision.

👉11. Marked to market loss computed as per ICDS to be allowed under section 36.

👉12. Gain or loss in Foreign Exchange as per ICDS to be allowed under new section 43AA.

👉13. Construction Contract income to be computed on percentage completion method as per ICDS.

👉14. Valuation of Inventorty including Securities  to be as per ICDS.

👉15. Interest on compensation, enhanced compensation. Claim or enhancement claim and subsidy, incentives to be taxed in the year of receipt only as per new Section 145B.

👉16. Conversion of stock in trade to capital asset to be charged as business income in the year of conversion on Fair Market value on the date of conversion.

👉17. 54EC benefit of investment in Bonds to be restricted to Capital gain on land and building only. Further period of holding being increased from 3 years to 5 years.

👉18. PAN to be obtained by all entities  including HUF other than individuals in case aggregate of financial transaction in a year is Rs 2,50,000 or more. All directors, partners, members of such entities also to obtain PAN.

👉19. All companies irrespective of income to file return and in case it is not filed, such companies will be liable for prosecution irrespective of the fact weather it has tax liability of Rs 3,000 or not.

👉20. Assessments to be E assessment under new section 143(3A)

👉21. No adjustment under section 143(1) while processing on account of mismatch with 26AS and 16A.

👉22. Deemed divedend to be taxed in the hands of the company itself as Dividend Distribution of tax @ 30%.

👉23. Penalty  for non filing financial return as required under section 285BA being increased to Rs 500 per day .

Thursday, January 4, 2018

क्या विपक्षी राजनेता पाकिस्तान के इशारे पर देश में जातिवाद का जहर फैला रहे हैं ?

अभी हाल ही में  महाराष्ट्र के कुछ भागों में विपक्षी राजनेताओं ने जाति वाद का जहर फैलाकर  मोदी सरकार को बदनाम करने की नाकाम कोशिश की. जैसे ही जातीय हिंसा शुरू हुयी, विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक ट्वीट करके मोदी सरकार, भाजपा और आर एस एस को कोसना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था जैसे यह सब पहले से लिखी गयी पटकथा का नाटकीय प्रस्तुतिकरण किया जा रहा हो. वामपंथियों और कांग्रेसियों के पाले हुए स्वघोषित वरिष्ठ पत्रकारों ने भी आग में घी डालकर जाति वाद के जहर को फैलाने में अपना पूरा योगदान दिया. देश के विपक्षी राजनेता यह सब पहली बार कर रहे हों, ऐसी बात नहीं है. जबसे केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, वे सभी राजनीतिक दल और उनके टुकड़ों पर पलने वाले मीडिया कर्मी इस बात को लेकर दिन रात इसी प्रयास में लगे हुए हैं कि किस तरीके से मोदी सरकार को हटाया जाए और अपनी मनपसंद पार्टी को सत्ता में लाया जाए ताकि जिस तरह पिछले ६० सालों से जिस तरह से देश की जनता को लूट लूट कर बंदरबांट का सिलसिला चल रहा था, उसे आगे भी चलते रहने दिया जाए.


रोहित वेमुला के मामले में भी खूब दलित राजनीति की गयी और मोदी सरकार को खूब बदनाम किया गया. जब यह मालूम पड़ा कि रोहित वेमुला दलित था ही नहीं, तो सबके पैरों के नीचे से मानो जमीन खिसक गयी. सवाल यह है कि मीडिया ने किस आधार पर रोहित वेमुला को “दलित” घोषित कर दिया ? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी तो सारी पोल खुलने के बाद आज भी रोहित वेमुला को दलित बताकर अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में हैं.


हाल ही में हुए गुजरात विधान सभा चुनावों में जाति वाद के जहर को फैलाकर कांग्रेस पार्टी को जो सफलता मिली है, उससे शायद वह और उनकी पार्टी बहुत अधिक जोश में है और उसी के चलते महाराष्ट्र में भी उसी तरह के जहर को फैलाने का प्रयास किया गया. मोदी सरकार अगर इन विपक्षी नेताओं का लिहाज़ करती रही तो २०१९ की गाड़ी अगर भाजपा के हाथ से निकल जाए तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. आज जरूरत इस बात की है कि इन सभी विपक्षी नेताओं को पिछले ६० सालों में किये गए दुष्कर्मों के लिए इस तरह से दण्डित किया जाए जिसे देखकर पाकिस्तान में बैठे इनके आकाओं के भी रोंगटे खड़े हो जाएँ. विपक्षी राजनीतिक दल किस तरह से पाकिस्तान की सलाह और शह पर जाति-वाद का जहर फैला रहे हैं, उसे समझने के लिए हमें कांग्रेसी नेता मणि शंकर अय्यर की पाकिस्तान यात्रा को याद करना चाहिए. मोदी सरकार बनने के  कुछ समय बाद कांग्रेसी नेता अय्यर पकिस्तान गए और वहां जाकर गिड़गिड़ाने लगे-“मोदी सरकार को हटाने के लिए हमें आपकी मदद की जरूरत है.” मणि शंकर अय्यर के इस बयान का खुद पी एम् मोदी ने अपनी गुजरात की चुनाव सभाओं में भी जिक्र किया था. सवाल यह है कि एक दुश्मन देश में जाकर उससे एक निर्वाचित सरकार को हटाने की मदद माँगना क्या मोदी सरकार की नज़र में देशद्रोह नहीं है ? अगर देशद्रोह है तो इस तरह के देशद्रोहियों को अभी तक सजा क्यों नहीं दी जा रही है ? कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता चोरी छिपे पाकिस्तान के राजनेताओं और राजनयिकों से मिलते हैं और पकडे जाने पर यह बताते है कि यह एक डिनर मीटिंग थी. मोदी सरकार इस मामले का गंभीरता से संज्ञान लेने की बजाये उसे हल्के में लेकर छोड़ देती है. मोदी सरकार के इस ढुलमुल रवैये से विपक्षी नेताओं के हौसले दिन ब दिन बुलंद होते जा रहे हैं.

मणि शंकर अय्यर ने जब पाकिस्तान में जाकर मोदी सरकार को हटाने के लिए मदद माँगी थी, तो उस समय तो भले ही पाकिस्तान ने कोई ठोस जबाब नहीं दिया हो लेकिन कुछ समय बाद ही पकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और  रणनीतिक विशेषज्ञ  सैय्यद तारिक पीरज़ादा ने २५ अगस्त २०१५ को अपने एक ट्वीट में यह सलाह दे डाली -” मोदी लहर को रोकने का सिर्फ एक ही उपाय है-वह यह कि हिन्दुओं को विभिन्न जातियों में बाँट दिया जाए. मुझे उम्मीद है कि अरविन्द केजरीवाल और राहुल गाँधी इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे होंगे.”


पकिस्तान की सलाह पर देश में जाति वाद का जहर फैलाकर अपनी राजनीति चमकाना, देशद्रोह की श्रेणी में आता है या नहीं, इसका फैसला खुद पी एम् मोदी  को करना है

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